दिनाँक 10.08.2-017, 11.08.2017 को सुजीत ने जंतर मंतर दिल्ली पर रेलवे की यात्री विरोधी नीतियों के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया था लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसे दो दिन में ही तुड़वा दिया ....सुजीत स्वामी ने पिछले महीने 08.07.2017 तारीख को दिल्ली पुलिस कमिश्नर को मेल के माद्यम से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन की आज्ञा मांगी थी किन्तु उसको दिल्ली पुलिस का सहयोग न मिलकर बस असहयोग ही प्राप्त हुआ और दूसरे दिन डराकर सुजीत को जनतंत मंतर से जाने को कहापहले दिन से नहीं किया सहयोगसुजीत के जंतर पहुंचने पर अधिकारी ने आज्ञा पत्र भी नहीं दिया बल्कि उसको एक साइड कोने में बैठकर शाम पांच बजे तक अनशन समाप्त करने को कहा, इसके बाद सुजीत ने अपना अनशन शुरू किया....लगभग 11 बजे वही अधिकारी वापस आया और बोलै तुझे वहां बैठने के लिए कहा था , तू यहाँ क्यों बैठा ..तो सुजीत ने जवाब दिया - वहां जगह नहीं थी तो अधिकारी ने रोड पर बैठकर अनशन करने का कहा की और कहा की शाम को 5 बजे अपने तामझाम उठा कर चला जाना लेना यहाँ से ..
उसके बाद सुजीत ने वापस से दिल्ली पुलिस कमिश्नर को मेल कर आगे की अनुमति मांगी जिसका अभी तक सुजीत को कोई प्रतिउत्तर नहीं मिलानहीं पहुंचाया/लिया सुजीत का ज्ञापन न ही की कोई सहायता-पहले दिन सुजीत का ज्ञापन भी किसी ने नहीं लिया बल्कि सुजीत ने दूसरे दिन जब लगभग 4 बजे एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने तो सुजीत के अनशन से अनभिग्यता जाता दी और कहा की तेरे अनशन की कोई जानकरी नहीं है जिन के थे उनके ज्ञापन कल ही पहुंचा दिए ...जब सुजीत बोलै की मेरा दूसरा दिन है अनशन का और पुलिस प्रशासन को सुध तक नहीं तो अधिकारी बोला ..जाने कितने एते है यहाँ ऐसे किस किस की सुध ले ...फिर सुजीत ने कहा की चलो आज मेरा ज्ञापन पहुंचा दो तो अधिकारी ने गाड़ी न होने का हवाला देकर मन कर दिया और कहा की सोमवार को पहुंचा देंगे , इस से सुजीत ने कहा की सर मुझे आज ही देना है तो अधिकारी ने खुद अपने हिसाब से चल जाने को कहा ...सुजीत ने अपने हिसाब से ज्ञापन रेल भवन जाकर दिया और आने के बाद अधियकारी को सुनाई तो अधियकारी भड़क गया और सुजीत को कहा की यहाँ से चुपचाप अभी चल जा वरना अंदर डाल दूंगा तो जिंदगी भर नौकरी भी नहीं कर पायेगा तेरे पास एक दिन की परमिशन थी ..बहुत देखे तेरे जेसे ....
तुम वंदे-मातरम क्यों नहीं बोलते??पहले दिन ही सुजीत के साथ गए फ़िरोज़ भारती से एक अधिकारी ने तंज कस्ते हुए पूछ लिया ..तुम वंदे मातरम क्यों नहीं बोलते ?
सुजीत के साथं गये मुस्लिम धर्म के फ़िरोज़ भारती को साथ ले जाने की बात बोली तो पहले तो अधिकारी ने मन कर दिया की एक की ही आज्ञा है ,जब सुजीत ने विरोध किया तो अधिकारी ने धीरे से फ़िरोज़ पर तंज कास दिया ...
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