Skip to main content

बजट वाले दिन चूर चूर हुआ बीजेपी का घमंड....क्या कांग्रेस की शुरुआत या बीजेपी को सबक है बंगाल और राजस्थान का परिणाम?

2013 में मिली बम्पर जीत के बाद शायद अब बीजेपी की चमक राजस्थान में खोने लगी है तब ही 200 में से 163 विधानसभा एवं 25 में से 25 लोकसभा सीट जीत कर इतिहास रचने वाली बीजेपी अगले चुनाव के ठीक पहले उपचुनाव में तीनो सीट बुरी (2 लोकसभा एवं 1 विधानसभा) तरह से हार कर शायद आत्मचिंतन की और अग्रसर होगी ...

अलवर सीट से कांग्रेस उम्‍मीदवार करण सिंह यादव ने भाजपा के जसवंत सिंह यादव को 1,56,319 वोट से हरा दिया है। अजमेर में भी कांग्रेस के रघु शर्मा ने जीत दर्ज की है।इसके अलावा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार विवेक धाकड़ ने भाजपा के शक्ति सिंह को 12,976 मतों से हरा दिया ।
यही नहीं पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस ने नोआपारा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर बीजेपी के मंसूबो पर पानी फेर सिद्ध किया किआ की बीजेपी की दाल बंगाल मे अभी गलने वाली नहीं , तृणमूल के सुनील सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के संदीप बनर्जी को 63,000 से ज्यादा मतों से मात दी।

इसलिए हुए उपचुनाव 


राजस्थान में अजमेर लोकसभा सीट सांवरलाल जाट के निधन के बाद खाली हुई थी। वहीं अलवर लोकसभा सीट महंत चांदनाथ के निधन के बाद से रिक्त थी। मांडलगढ़ विधानसभा सीट कीर्ति कुमारी के निधन के बाद रिक्त हुई थी। इसी तरह पश्चिम बंगाल की उलुबेड़िया लोकसभा सीट टीएमसी के सांसद सुल्तान अहमद के निधन के बाद खाली हुई थी। वहीं नोयापाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष के निधन के बाद उपचुनाव हुए हैं। सभी सीटों पर 29 जनवरी को उपचुनाव हुए थे। 

काम नहीं आया पदमवाती बैन का फार्मूला?


बीजेपी शासित राज्यों में गुजरात चुनाव से पहले राजपूतो और हिन्दुओ का वोट पाने के लिए जिस तरह बीजेपी ने रानी पद्मावती पर निर्मित पिक्चर पद्मावती को बैन किया उसका फल बीजेपी को न तो गुजरात में मिला नहीं राजस्थान में..

करणी सेना के बार बार कहने पर भी प्रधामंत्री मोदी का अपनी चुप्पी पर अडिग रहना शायद हार तरफ चुनाव में राजपूत समाज को पसंद नहीं आया, और इसी के परिणाम स्वरुप राजपूतो का गढ़ रहा राजस्थान में बीजेपी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा ।

क्या खो गयी मोदी की लोकप्रियता उन्ही के जुमले में रहकर? 

बीते साल गए गुजरात चुनाव और राजस्थान में हुए उपचुनाव से  बीजेपी के लिए बुरी खबर ही सुनने को मिली, मोदी के गढ़ गुजरात में बीते साल विधानसभा चुनाव में भले बीजेपी को जीत मिल गयी लेकिन यहाँ १६ सीट खोकर मोदी के चल रहे जादू पर सवाल निशान खड़ा कर दिया, उसी तरह राजस्थान  एवं बंगाल के उप चुनाव से आयी खबरों ने बीजेपी के जादूगर मोदी के घमंड को करारा झटका दे डाला।
बेरोजगारी, GST, पैट्रॉल तेल के दामों में बढ़ोतरी, टैक्स की मार से दुखी आम आदमी ने मोदी के चुनावी वादों को खूब पहचान लिया और शायद इसी वजह से अभी सिर्फ एक इशारा किया है की संभल जाओ वरना कांग्रेस की तरह अर्श से फर्श पर ला देंगे ।

Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कान...

नवरात्रे हुए सम्पन्न, देखते है मातारानी के पांडाल में गरबे के आयोजन में नाचने वाले कितने काफिर पर जारी होता है फतवा...

उत्तर प्रदेश में हर-हर शम्भू भजन की कॉपी गाने वाली तीन तलाक पीड़िता गायक कलाकार फ़रमानी नाज हो या फिर अलीगढ़ की रूबी खान जिसने खुद के घर में गणेशोत्सव पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की और तो और रांची की योग सिखाने वाली टीचर राफिया नाज तक को इस्लाम धर्म के तथाकथित नियमो के विपरीत जाने के आरोप पर फतवे का सामना करना पड़ा।आगे बात करे तो भारतीय क्रिकेट के स्टार मोहम्मद शमी तक के ख़िलाफ़ दशहरे की शुभकामनाएं देने के जुर्म में इस्लाम के मौलाना-मौलवियों ने फतवे जारी करने की धमकी दे डाली थी । लेकिन पुरे नो दिन के नवरात्रि निकल गए, समस्त गरबे भी सफलतापूर्वक संपन्न हो गए, मेरी निगाहे टक-टकी लगाकर देश के किसी भी कोने से, मातारानी के पांडाल में उनके चारो तरफ परिक्रमा करते हुए धूम-धाम से जयकारा लगाते, संगीत पर नाचने-गाने वाले मुस्लिम काफिरो के ख़िलाफ़ फतवे का इंतजार कर रही है। इस्लाम में मूर्ति पूजा, नाचना-गाना, दूसरे धर्म के धर्म स्थलों पर जाकर माथा टेकना, यहाँ तक भारत माता की जय, वन्दे मातरम नारे लगाना तक हराम है, फिर इन मुस्लिम युवाओं के ख़िलाफ़, जो अपनी पहचान ऊँचे पजामे, जालीदार गोल टोपी, बिना मू...

आंदोलनजीवियों के हथकंडो से कब तक होते रहेंगे राजमार्ग बंधक,क्या आमजन के फंडामेंटल राइट्स की परवाह नहीं किसी को?

 दिल्ली के पास स्थित शम्भू बॉर्डर पर डेरा डाल कर तथाकथित पंजाब से आये किसानों का प्रर्दशन चल रहा है और वो देश की राजधानी दिल्ली में घुसने की मांग कर रहे है, जबकि केंद्र सरकार पिछले आंदोलन जिसमे (लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहराने और पुलिस को बुरी तरह पीटने) बड़ी अराजकता होने से सरकार की बुरी स्थिति हो गयी थी, से सबक लेकर इनको बॉर्डर पर ही रोकने पर आमादा है।। तथाकथित पंजाब से आये किसानों के इरादों और बातो से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली पर कूंच कर दी हो और वह दिल्ली के राजा को डरा धमका कर गद्दी से हटाना चाहते हो। जिस तरह की तस्वीरें शम्भू बॉर्डर से आ रही है उन्हें देखकर किसी भी तरीके से मासूम अन्नदाता किसानो का आंदोलन यह कहा ही नहीं जा सकता।                   आम आदमी पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब से 10 हजार के लगभग इन तथाकथित अन्दोलनजीवियो का आगमन हुआ है,लगता है शायद इनको एजेंडा के तहत भेजा गया हो भारत सरकार के खिलाफ किसानो के नाम से हुड़दंग मचाकर परेशां करने का। चूँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल अब बजने ही वाला है...