IIT पर करोड़ो की अनियमिता के मेरे आरोपों को पुख्ता करती कैग की रिपोर्ट,लेकिन कोई नहीं जाँच करने वाला ...
हम तो लूट के मानेगे सनम जब तक साथ है ऊपर वाले का .....
यह लाइन आई आई टी घमंडी के उच्च अधिकारिओ द्वारा कही जा रही है और यहाँ ऊपर वालो से तात्पर्य ह्यूमन रिसोर्स के उच्च "चीप(चीफ) "अधिकारियो से है....जो आंखे मूंद तमाशा देख रहे है और हम जैसे बेवकूफ लोग चले देश बदलने
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आई आई टी मंडी की कार्यप्रणाली की अनियमिता का खुलासा किया लेकिन किसी ने सुध नहीं ली , राज्य सरकार ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाली तो केंद्र सरकार ने एक्शन न लेने की जैसे कसं खायी हुई है और इसी बीच एक और नया खुलासा हुआ जिसकी जानकारी तो मुझे भी नहीं थी I
अब सुचना के अधिकार के तहत आयी गई सुचना से बड़ा खुलासा हुआ है , सुचना में कैग की साल 2014-15, 2015-16 & 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट से पता चला है कि, आई आई टी की कार्यप्रणाली से सरकर को भारी रेवेनुए का नुकसान झेलना पड़ा वही एजेंसियो को करोर्ड़ो रुपये की जमा को अनियमिता तरीको से रिलीज़ करके फायदा पहुंचाया गया।
कैग की 2014-15 की रिपोर्ट में बताया गया की साल 2012-13 में 114.69 लाख जमा की अनियमित तरीके से रिलीज़ की वही साल 2013-14 में एजेंसी को UNDUE फेवर करके 34.89 करोड़ की जमा को अनियमित तरीके से रिलीज़ करके फायदा पहुंचाया गया । 114.69 लाख के साल 2012-13 के ऑब्जेक्शन के जवाब में आई आई टी मंडी के जवाब से कैग संतुष्ट नहीं हुआ लेकिन साल 2015-16 के ऑडिट में जाकर इसको सेटल कर दिया गया वही 34.89 करोड़ के UNDUE फेवर वाले साल 2013-14 के ऑब्जेक्शन पर भी आई आई टी की लीपापोती से कैग 2016-17 के ऑडिट में जाकर संतुष्ट हुआ । नियमो को ताक में रखकर रिलीज़ की गयी जमा तीन साल बाद कैसे सही हो सकती है इसका जवाब तो कैग या फिर आई आई टी मंडी ही दे सकती है, आई आई टी मंडी में आंतरिक ऑडिट के अधिकारी खुद कैग से सेवानिवृत है जो संदेह पैदा करता है और ह्यूमन रिसोर्स के "चीप" सेक्रेटरी साहब तो न जाने कोसने एहसान के टेल दबे हुए है जो कुछ कारवाही ही नहीं करते , चूँकि यह कैग कीरिपोर्ट की कॉपी ह्यूमन रिसोर्स को ही जाती है एक्शन लेने के लिए I
वही साल 2015-16 में कैग ने आई आई टी मंडी के डायरेक्टर ऑफिस के रिकॉर्ड को चेक करने पर पाया की साल 2013-14 और 2015-16 में HPSEBL , को दो कार्य के लिए आर्डर अवार्ड हुआ जिसमे 8165465 रुपये एडवांस्ड में देकर सरकार के फण्ड को अवरुद्ध किया गया जबकि दो साल तक यह कार्य ख़त्म भी नहीं हुआ जबकि आई आई टी मंडी के दिए गए जवाब से भी कैग ने असंतुष्टि जताई वही यह फण्ड नए एवं पुराने कार्यो के साथ 20161-7 की ऑडिट में बढ़कर 5 करोड़ 44 लाख हो गया , हर समय आई आई टी मंडी ने HPSEBL को अग्रिम भुगतान करके सकरकर के फण्ड को अवरुद्ध किया और तीन चार साल तक भी यह कार्य ख़त्म नहीं हुआ
कैग ने डायरेक्टर ऑफिस के रिकॉर्ड से डेवलपमेंट वर्क जो 24 करोड़ से ज्यादा का है साल 2012-13 से चल रहा है के स्लो प्रोसेस पर भी आपत्ति जताई ।
साल 2012-2013 में पास हुए छात्रों की नहीं लौटाई 11.20 लाख की सुरक्षा राशि-
कैग ने 2015-16 की रिपोर्ट में पाया की 256 स्टूडेंट की सुरक्षा राशि जो उन्होंने दाखिले के समय साल 2009 में जमा कराइ थी साल 2009 से 2012-13 तक इंस्टिट्यूट को छोड़ने पर भी नहीं लौटाई हालाँकि विर्द्यार्थियो ने इसको पाने के लिए क्लेम भी नहीं किया लेकिन कैग ने रिपोर्ट में लिखा 3 साल से जयदा यह राशि unclaimed है इंस्टिट्यूट ने इसको लौटने के लिए कोई प्रयास नहीं किया अथार्त इंस्टिट्यूट ने बच्चो के पैसे पर बी नियत बिगड़ ली ...बिचारे बच्चे तो नियम कायदे इतने जानते नहीं और इसी का फायदा उठा लिया इन्होने ,वही यह राशि या तो विद्यार्थी को लौटने चाहिए थे या फिर सरकार के खाते में जमा करने चाहिए थे आई आई टी मंडी ने दोनों में से कुछ नहीं किया ।
नहीं वसूली बैंक से 14.45 लाख रुपये की लाइसेंस फीस-
कैग ने रिपोर्ट 2015-16 में बताया की स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया एवं पंजाब नेशनल बैंक आई आई टी कैंपस के अंदर कार्यरत है जिनसे मासिक रेंट वसूलना होता है लेकिन आई आई टी मंडी ने जून 2013 से मार्च 2016 तक नहीं वसूला जिसके फलस्वरूप आई आई टी मंडी को 14.45 लाख रुपये से ज्यादा के रेवुएनुए लॉस से जूझना पड़ रहा है, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया पर 5,56,988/- Rs तो पंजाब नेशनल बैंक के ऊपर 8,88000/- से ज्यादा की लाइसेंस फीस देय चल रही है वही ऑडिट 2016-17 की रिपोर्ट में बताया की यह बकाया राशि अब बढ़कर 21.09 लाख से ज्यादा की हो गयी है वही आई आई टी के 48 कर्मचारीओ जो संसथान के अंदर ही निवास करते है से भी पुराणी दर पर ही लाइसेंस फीस ली जा रही है जबकि नयी दरों के मुताबिक उनकी सैलरी से कटोतरी होनी चाहिए जों नहीं हो रही है फलस्वरूप 53 हजार से भी ज्यादा की रिकवरी कर्मचार्यो पर बन गयी है ।
42 हजार की किताब हुई गायब -
कैग ने बताया की हर साल किताबो का वेरफिकेशन होना चाहिए ताकि किताबो की हकीकत पता चल सके और 1000/- रुपये से ज्यादा की मिसिंग पर इन्वेस्टीगेशन होनी चाहिए और सही एक्शन लेना चाहिए वही आई आई टी मंडी के लाइब्रेरी से साल 2014-15 में Rs. 2000/- से ज्यादा की और साल 2015-16 में Rs. 40,000/- से ज्यादा की किताबे मिसिंग है।
डायरेक्टर ने बताया किताबो की खोज जारी है । ऑडिट 2016-17 तक भी यह खोज पूरी नहीं हो सकी और, वो खोज अंत समय तक ही शायद जारी रहेगी ऐसी पूरी उम्मीद मुझे है और आई आई टी मंडी मेरी इन उम्मीदों पर खरा जरूर उतरेगी
साल 2016-17 की कैग रिपोर्ट की शुरुआत ही CPWD के काम के साथ सामजस्य की कमी से हुए नुकसान की बात से हुई जिसके फलस्वरूप कार्य भी धीमा हुआ और टेंडर कॉस्ट लगभग 11.73 करोड़ बढ़ गयी ।
वही बिना टेंडर के दिए गए ऑफिस ऑटोमेशन के कार्य जो कीआई आई टी मंडी के कर्मचारी सुजीत स्वामी यानि की "में" ने सवालो के घेरे में ले रखा पर कैग ने भारी पेनल्टी लगाने के लिए कहा ।
M/s SRA System LTD. चेन्नई को दो करोड़ सात लाख का डेवेलोपमेंट & एक्सेक्यूशन और 03 साल तक रखरखाव करने का कार्य दिया जो की आई आई टी मद्रास (आई आई टी मंडी डायरेक्टर का पैरेंट इंस्टिट्यूट )में पहले से कर रही है इस कार्य को 9 मॉडल में विभाजित किया गया था और साथ में फर्म को 2 मॉडल अलग से करने थे एग्रीमेंट के अनुसार यह कार्य 16.12.2016 तक होना था जिसमे आई आई टी मंडी ने तीन महीने का एक्स्ट्रा समय और दिया। डायरेक्टर ऑफिस के रिकॉर्ड से कैग ने नोटिस किया की 11(09+02) में से सिर्फ 04 मॉडल ही अब तक चेन्नई की कंपनी के द्वारा पुरे किये गए जिससे कैग की रिपोर्ट की दिनक तक 11 महीने लेट रहा। अग्र्रिमेंट के अनुसार दो महीने की देरी पर दो प्रतिशत की और यदि उसके बढ़ भी देरी होती है तो पांच प्रतिशत हर महीने की पेनल्टी टोटल वर्क रेट के अनुसार लगाई जनि थी लेकिन आई आई टी ने अंतिम पेमेंट 11.01.2018 को किया जिसमे अभी तक कोई पेनल्टी नहीं लगाई ।कैग ने टोटल 20% लगभग 41 लाख रूपये की पेनल्टी सख्तता से लगाने की हिदायत दी और कहा की यह रकम बचे हुए अमाउंट में काटी जाये ।
इसके अलावा मेडिकल क्लेम, एलटीसी, फैकल्टी के द्वारा खरीदे गए लाखो रुपये के अदन प्रदान पर भी कैग ने सवा खड़े है
कैग हर साल रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्रालय के चीफ सेक्रेटरी को सुचना एवं अग्रिम एक्शन के लिए भेजती है लेकिन वह से भी कोई एक्शन नहीं होने कारन आई आई टी मंडी में अनियमिता बढ़ती जा रही है इसने न केवल राजस्व को नुकसान हो रहा है बल्कि कई लोगो की तिजोरी भी भर रही है ।
मानव संसाधन मंत्रालय का यु आंखे मूंद समर्थन देना वाकई कबीले तारीफ है , इतना तो शायद किसी पार्टी के चमचे या यु कहे तो अंध भक्त भी भक्ति नहीं करते ....इसके लिए उन्हें देश के नंबर वन स्वामिभक्ति का अवार्ड मिलना चाहिए
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