लापरवाही का आलम यह है की कुछ दिन पहले ही एक 30 साल के मजदुर भूषण की मार्बल के निचे दबकर मौत हो गयी थी और आई आई टी प्रशासन के जेहन में आई आई टी को बनाने वाले हिमाचल के मजबूर, गरीब न सादगी से जीवन जीने वाले शांति प्रिय मजदूरों के लिए ख्याल नहीं आया और अभी बुधवार को एक महिला के पांव में चोट आ गयी और दस टांके आये, बात यही तक नहीं उसको अस्पताल ले जाने के लिए भी आधे घंटे तक एम्बुलेंस के लिए गुहार लगानी पड़ी । लाखो रुपये छापने वाले दूसरे प्रदेशो से आये अमीर पड़े लिखे नवाब यहाँ सुबह शाम की रोटी के लिए काम करने वाले मजदूरों के बारे में इतने निष्ठुर हो सकते है इसके बारे में सोच कर भी दर्द होता है। लाखो रुपये इधर उधर प्रोग्राम में खर्च करने वाले, हजारो के समोसे एवं चाय पिने वाले लोग आई आई टी मंडी जो की हिमाचल की धरती पर स्थित है वही के निवासि जो आई आई टी मंडी में मजदूरों की तरह कार्य कर रहे है उनके लिए चंद सुरक्षा उपकरण नहीं मुहैया करवा सकते? आई आई टी कामगर संघ पिछले कई महीनो से गुहार लगा रहा है की नियमो कायदो की धज्जिया उड़ रही है, मजदूरों के लिए सुरक्षा उपकरण मुहैया करवा दो लेकिन उनकी बात शायद हुकमदाराजो तक नहीं पहुँचती क्योकि यह गरीब लोग मजबूर मजदुर है और इसी वजह से इनकी आवाज में दम नहीं।
लाखो रुपये की सैलरी बढ़ाने वाले, लाखो रुपये का चुना सरकार को लगाने वाले, पेड न्यूज़ चलाने के लिए डेड लाख रुपये महीने तक खर्च करने वाले, इन चंद कठिन पारिश्रमिक मजदूरों के हक़ की आवाज नहीं सुन रहे ...और हिमाचल प्रदेश की सरकार मूक दर्शक बनी हुई है , वाकई हालत चिंताजक है । कभी इनका बोनस का पैसा खा जा जाते है तो कभी PF का पैसा , कभी किसी मजदुर को बिना कारन नौकरी से निकल देते है तो कभी धमकी देते हुए नजर आते है, क्या वाकई ये देश का माना हुआ संस्थान है IIT MANDI? कभी मजदूरों के लिये उपयुक्त शौचालय बनवाने के लिए प्रशासन क बताना पड़ता है तो कभी सुक्षा उपकरणों के लिए ? कहाँ गए सारे मापदंड जो टेंडर में निकाले जाते है?
महिला प्रशस्तीकरण की डींगे हाकने वाले पढ़े लिखे, हर दम महिलाओ से घिरे रहने वाले "ठग" (TAG)की आँखों पर पट्टी बंध गयी जब , दिनांक 13 फ़रवरी 2019 को एक महिला मजदुर टाइल लेके सीडिया उतर रही थी और किसी कारणवश उसके पांव में गंभीर चोट आ गयी ।
हद तो तब हु जब उस महिला को दर्द में कराहते हुए भी किसी का दिल नहीं पसीजा और मजदूरों की प्राथना के बाद भी उसको अस्पताल पहुंचाने के लिए कंपनी वाले एक दूसरे के ऊपर बात टालते रहे । जब मजदूरों ने इसका विरोध किया तो उनको उनकी गरीबी का एहसास करवाते हुए धमकी दी गयी की बात को यही दबा दो और काम पर लग जाओ, काफी मिन्नतों के बाद आधे घंटे में किसी एम्बुलेंस का प्रभंध हुआ और महिला को अस्पताल पहुंचाया गया जहा उसके पांव में पुरे दस टांके आये।
ठेकेदार का जंगल राज देखो, जिस महिला ने अपना खून दिया उसी महिला को बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अनुपस्थित करार दे दिया ।
हिमाचल कमगार संघ इकाई कमांद के प्रधान हरवंश, सचिव चंदे राम, कोषाध्यक्ष चित्रमणि, सलाहाकार राम चन्द ने बताया कि मजदूरों की सुरक्षा के लिए और आईआईटी केम्पस में चल रहा प्राइवेट माइंड ट्री स्कूल के सम्बंध में सांसद राम स्वरूप शर्मा और हिमाचल सरकार को हो रही धांधलियों के बारे में कई बार बताया लेकिन कोई भी कार्यवाई नही हुई । उन्होंने केंद्र सरकार, हिमाचल सरकार और जिला प्रशासन से आखिर बार गुहार लगाई है कि इस पर उचित कार्यवाई की जाएं ताकि मजदूरों का शोषण न हो। अन्यथा मजदूरों को धरना प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। जिसकी जिमेदारी प्रशासन की होगी ।
आईआईटी मंडी में काम कर रहे मजदूरों को कम्पनियों की तरफ से कोई भी सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, ग्लब्ज इत्यादि सुरक्षा नहीं दी जाती है। जिस कारण मजदूरों को बिना सुरक्षा से काम करना पड़ रहा है और प्रतिदिन मजदूर जान जोखिम में डाल कर कार्य कर रहें हैं और इन सब बातो पर हिमाचलियों के हितो के गुणगान करने वाले संस्थान के लोग आँखों पर पट्टी बांध कर किसी बिल में दुबक गए है ।
क्या इन सेफ्टी उपकरणों की कीमत मजदूरों की जान से ज्यादा है ? यदि भूषण ने मार्बल उतारते समय भी हेलमेट और अन्य सेफ्टी उपकरण पहने होते तो भूषण को अपनी जान नहीं खोनी पड़ती लेकिन किसी को क्या फर्क पड़ता है, गरीब की जान की कोई कीमत नहि होती ।
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