बच्चे मन के सच्चे,वो अबोध है उनको सिर्फ प्यार, सौहार्द के बारे में शिक्षा दी जाती है क्योकि जैसा उनको सिखाया जाता है वो ही उनकी तालीम बन जाती है । कच्ची मिटटी की तरह होते है बच्चे, जिस सांचे में ढालो उसी में ढल जाते है। बच्चो के माता पिता उनको नर्सरी से ही अच्छे विद्यालय में भेजते है ताकि उनको एक सम्भ्य, नैतिक एवं मिलनसार इंसान बनने का ज्ञान मिल सके, वो प्यार बांटना सीखे, सौहार्द के साथ सबके साथ रहना सीखे। जो हिंसा के तरीके आतंकवादी , बच्चो को आतंक की ट्रेनिंग में सीखाते है वो तरीके माइंड ट्री स्कूल में पडोसी से बदला लेने के लिए दूसरी क्लास के बच्चो को पढ़ाया जा रहा है. हिंसा के बारे में कोई बात छोटे बच्चो के सामने करता दिखता नहीं , कोई अपराधी भी होता है तो वो भी बच्चो के सामने अपराध की गाथा नहीं सुनाता लेकिन आई आई टी मंडी कैंपस में चल रहे निजी स्कूल माइंड ट्री दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले मासूम बच्चो को पडोसी से बदला लेने के लिए उनके घर में बम फोड़ने, खिड़की पर पत्थर की बारिश करना जैसी कहानी बता रहा है, वाकई यह शर्मनाक तो है ही लेकिन उससे भी ज्यादा है चिंताजनक, की क्या दूसरी ...