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झालावाड़ अभियांत्रिकी कॉलेज : वित्तीय हालत खस्ता,विद्यार्थी पुरे नहीं फिर भी 60 AC,20 प्रिंटर, 3D प्रिंटर खरीदे वो भी महंगे मूल्य में, घोटाले की आशंका?

खस्ता हॉल वाले अभियांत्रिकी कॉलेज में जहां विद्यार्थी दाखिला ले नहीं रहे,वित्तीय हालत खस्ता है, गेस्ट फैकल्टी को नियमानुसार तनख्हवाह मिल नहीं पा रही,  वही प्रबंधन मौज उड़ा रहा है, इसका बड़ा उदहारण में सामने आया है "अभियांत्रिकी कॉलेज झालावाड़" का, जहां अगस्त 2019 में 60 Spilt AC  बाजार से महंगी दर पर खरीदे गए है ओर तो ओर इनके इंस्टालेशन में भी 2000/- रुपये प्रति यूनिट का भुगतान कर सरकार को चुना लगाया है । 

अभियांत्रिकी कॉलेज झालावाड़ ने 60 AC के लिए 21 लाख 17 हजार 990 रुपये का भुगतान किया जिसमे उसको सप्प्लायर ने 3 स्टार 1.5 टन के Carrier , Midea ब्रांड का Santis Pro with R410 Gas के AC सप्लाई किये यानि की हम कह सकते है प्रत्येक AC का खरीद मूल्य कॉलेज को 35 हजार 300 रुपये पड़ा इसके अलावा, प्रत्येक AC के इंस्टालेशन के लिए कॉलेज ने 2000/-  रुपये के हिसाब से भुगतान भी किया यानि की 60 AC के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये का भुगतान किया गया इसी के साथ ही logicare कंपनी का stabilizer भी खरीदा जिसके लिए 1 लाख 6 हजार 276 रुपये का भुगतान सप्प्लायर को किया । अब यहाँ जो सवाल 60 AC की खरीद एवं इंस्टालेशन पर उठता है वो निम्न है-



1. विद्यार्थियों की संख्या से जूझ रहे कॉलेज को इतनी अधिक मात्रा में AC खरीद की क्या आवश्कता थी?

2. इसी कंपनी का 1 ही AC ऑनलाइन प्लेटफार्म पर 32999/- रुपये में उपलब्ध है यदि खरीद किये गए AC की संख्या बड़ा दी जाये तो इसमें 1500-2000 रूपए का अंतर आ सकता है अथार्थ 31000-31500 रूपये प्रत्येक AC पड़ता, फिर क्यों कॉलेज ने इतनी महंगी दर में 60 AC की खरीद की ? यदि 33 हजार का मूल्य भी हम मान कर चले तब भी प्रत्येक AC पर 2300 रुपये का भुगतान कॉलेज ने बाजार दर से  ज्यादा किया यानि की 60 AC की खरीद पर 1 लाख 38 हजार रुपये का भुगतान ज्यादा हुआ है.


3. अधिक मात्रा में AC इंस्टालेशन का चार्ज 500 रुपये से 700 रुपये होता है तो फिर कॉलेज ने (2000/- रुपये प्रत्येक), 1300-1500 रुपये प्रत्येक AC पर बाजार मूल्य से अधिक क्यों दिए ? 

4. वोल्टास, व्हर्लपूल आदि जैसे AC के ब्रांड करीयर ब्रांड से ज्यादा सस्ते एवं रिलाएबल होते है फिर क्यों ऐसे ब्रांड को अधिक कीमत पर खरीदा गया जिसकी उपलब्धता सरलता से बाजार में नहीं हो ? 


5. AC के मॉडल में R410 गैस ही क्यों मांगी गयी जबकि R32 भी उच्च गुणवत्ता की मानी जाती है? 

इस तरह के कई सवाल AC खरीद पर उठ रहे रहे लेकिन इसके अलावा 20 लेज़र प्रिंटर  एवं एक 3D प्रिंटिंग मशीन की खरीद पर भी बाजार मूल्य से ज्यादा भुगतान करने की बात निकल कर आ रह रही है । 

कॉलेज प्रशासन ने एक लेज़र प्रिंटर (Brother कंपनी का)के लिए फर्म को 19116/- रुपये का भुगतान किया जबकि इसी कंपनी का लेज़र प्रिंटर ऑनलाइन 18413/-रुपये में उपलब्ध है जबकि HP कंपनी का प्रिंटर चाही    गयी सभी सुविधा के साथ मात्र 15499/- रुपये में उपलब्ध है अथार्थ 3617/- रुपये कम दर पर। 



यह प्रिंटर भी 20 संख्या में खरीदे गए यदि मांगी गयी सभी सुविधा कम दाम वाले ब्रांडेड प्रिंटर में उपलब्ध है तो प्रत्येक प्रिंटर पर 3617/- रुपये अधिक देकर कुल 72340/-रुपये का आर्थिक नुकसान सरकार का क्यों किया ? 

इसी के अलावा  3D प्रिंटिंग मशीन की खरीद पर तो आरोप है की बाजार दर से लगभग दुगनी कीमत पर खरीद की गयी है । 


कॉलेज ने जो 3D प्रिंटिंग मशीन खरीदी उसके लिए 12 लाख 5 हजार 429 रुपये का भुगतान किया गया जिसमे कॉलेज प्रशासन को Olivetti कंपनी की 3D प्रिंटिंग मशीन प्राप्त हुई जिसकी ऑनलाइन कीमत मात्र 6.6 लाख है हालाँकि दिए गए परचेस आर्डर में कही भी कंपनी का नाम एवं मॉडल नंबर उपलब्ध नहीं है  लेकिन वही के कर्मचारी ने खरीदी गयी प्रिंटिंग मशीन का फोटो एवं मॉडल नंबर उपलब्ध करवाया जिसके बाद जब उसका तुलनात्मक अध्यन किया तब मालूम हुआ की कॉलेज प्रशासन ने इस मशीन को भी लगभग दुगने मूल्य पर खरीद कर सरकारी धन के दुरूपयोग की मिसाल कायम की है।



जब मुझे यह सब शिकायते मिली तो मेने झालावाड़ कॉलेज के प्रिंसिपल, रजिस्ट्रार एवं टेक्वीेप कोर्डिनेटर से बात की ओर उनका पक्ष जानना चाहा तो तीनो ने रटा-रटाया जवाब दिया की " नियम कायदो से ही खरीद की गयी है , ऑनलाइन तो हम खरीद नहीं सकते , टेंडरिंग से सारी खरीद हुई है "हालाँकि 60 AC की खरीद पर उन्होंने इसे लैब के जरुरी बताया लेकिन कितनी लैब के लिए यह नहीं बता पाए। 

हालाँकि इन तीनो से जवाब की यही उम्मीद मेरे द्वारा की गयी थी क्योकि पढ़े-लिखे इंसान कागजो में दिखावा पूरा करते है। अब मिलने वाली शिकायतों के आधार पर" भ्र्ष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB)" को शिकायत भेज कर इन अधिकारियो की मंशा एवं खरीद प्रक्रिया से हुए सरकारी धन के दुरूपयोग की जाँच की मांग की जाएगी , साथ ही कई अनेक खरीद जिनके बिल तो मेरे पास है मे भी घोटाले की शिकायत भी है साथ संलग्न कर उनकी खरीद एवं स्टॉक रजिस्टर की जाँच की मांग भी उठायी जाएगी। वैसे तो मुझे उम्मीद है की ACB की जाँच में दूध का दूध ओर पानी का पानी निकल कर सामने आ जायेगा लेकिन यदि जाँच का परिणाम संतोषजनक नहीं आया तो उच्च न्यायालय जयपुर  मे याचिका लगाकर इन सब की जाँच एवं दोषियों पर सख्त कारवाही के लिए प्रार्थना की जाएगी। इस तरह सरकारी धन के दुरूपयोग का मामला किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाना चाहिए , देखते है अब आगे ओर क्या-क्या निकल कर सामने आता है ।

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