केंद्र की मोदी सरकार ने ज्यों ही कृषि सम्बन्धी तीन अध्यादेशों को दोनों सदनों से पारित करवाया यह अब लगभग कानून बन गए लेकिन इन तीनो कानूनों के ऊपर विपक्ष एवं कुछ तथाकथित किसान अब रोड पर अपना रोष प्रकट कर रहे है, धरने दे रहे है "मोदी सरकार, हाय-हाय" चिल्ला रहे है, सदन में विपक्ष के लोग सदन के मार्शलो को गरदन पकड़ कर मारपीट पर आमादा हो रहे है, मीडिया कवरेज पाने के लिए टेबल पर चढ़ कर ताली पीट रहे है,रूल बुक फाड् कर माहौल बना रहे है और सरकार अपने बचाव में अपने मंत्रियो की फ़ौज उतार रही है जो सफाई पर सफाई दे रहे है। केंद्र सरकार के खुद के घटक दल इस्तीफा देकर साथ छोड़कर इस कानून का विरोध कर रहे है। राहुल गाँधी जैसे नेता भी अब ज्ञान देने लग गए है और इसे मौत का कानून तक बता रहे है ।
तीनो अध्यादेश है क्या जिसने कोरोना काल में भी इतना बवाल काट रखा है, तो वो है-
1. आवश्यक वस्तु अधिनियम ( भण्डारण नियम )-2020
2. द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिएशन) अध्यादेश, 2020) एफपीटीसी
3. फार्मर(एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज आर्डिनेंस,2020)
अब समझते है तीनो अध्यादेशों को बारी-बारी से इसी के साथ इनके फायदे और नुकसान भी
1. आवश्यक वस्तु अधिनियम ( भण्डारण नियम )2020 - यह कानून पहले से था लेकिन इसमें केंद्र सरकार ने संशोधन कर के इसका भंटाढार कर दिया है (ऐसा विपक्ष का कहना है ) जबकि सरकार का कहना है यह किसानो के लिए संजीवनी है। इस कानून के तहत अब कोई भी आवश्यक वस्तु का स्टॉक कर सकता है जैसे दाल,आलू, प्याज, लहसुन , सरसो, गेहू ,चावल आदि, पहले एक लिमिट तक ही भण्डारण करने की अनुमति थी लेकिन अब इसकी अनुमति दे दी गयी है, लेकिन युद्ध एवं आपदा के समय भण्डारण करना मान्य नहीं होगा ।
फायदा😃😃-
किसान अपनी मर्जी से जब चाहे फसल बेच सकता है । पहले भण्डारण करने की अनुमति न हो पाने के कारण किसान को फसल को हाथो हाथ जो भी भाव मिले उसमे बेचना पड़ता था लेकिन अब वह फसल को रोक सकता है एवं जब अच्छे भाव मिले तब बेच सकता है ।
नुकसान😭-
व्यापारी लोग मोके का फायदा उठाएंगे, पहले वो स्टॉक नहीं कर पाते थे लेकिन अब वो दबा के स्टॉक करेंगे ,गजब की मुनाफाखोरी बढ़ने की सम्भावना है। प्याज, दाल के दाम आम इंसान के लिए ज्यादा हो सकते है । भारत के किसान अधिकतर गरीब किस्म के है जिनके पास खेती करने के पैसे भी नहीं होते वो लोन लेकर या साहूकारों से ब्याज पर पैसे लेकर खेती करते है और फसल उगते ही लौटाने की उधेड़बुन में लग जाते है तो फसल करके उसको अच्छे दाम मिलने तक स्टॉक करना उसके लिए संभव नहीं होगा और तो और अधिकतर किसानो के पास स्टॉक करने के लिए गोदाम तो बहुत दूर की बात है बड़े घर भी नहीं होते । मोटे व्यापारी लोग जिनके पास बड़े-बड़े गोदाम होंगे वो किसान से सस्ते दाम में लेकर स्टॉक कर लेंगे और जब बाजार में उस प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ जाएगी तब मोटी कीमत पर उसको निकाल कर मुनाफा कमाएंगे ।
2. द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिएशन) अध्यादेश, 2020) एफपीटीसी- एफपीटीसी नाम से आये अध्यादेश, जिसका मकसद कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) के एकाधिकार को खत्म करना और हर किसी को कृषि-उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देना है. मतलब किसान अब जहा चाहे वहां फसल को बेच सकता है उसको राज्य की मंडी में ही फसल को बेचने की बाध्यता नहीं रहेगी,वह उसकी फसल के साथ आजाद है जहा मर्जी पड़े वो उसको बेचे।
फायदा😃😃-
किसान अपनी मर्जी से जहा भी चाहे फसल को बेच सकता है बिचोलियो से बचाकर अब वो डायरेक्ट ट्रेडिंग भी कर सकता है उसको ऑनलाइन मुहेला करवाया गया प्लेटफार्म बेहतरीन है। जैसे हिमाचल प्रदेश में सेव होता है वहां का किसान सीधे रूप से इसे राजस्थान में भी बेच सकता है उसको अब राजस्थान की किसी मंडी में जाने की जरुरत नहीं होगी । बिचलोइयो से छुटकारा मिलेगा ।
नुकसान😭-
हिमाचल का किसान राजस्थान में आकर सेव कैसे बेचेगा, कहा सेव को स्टोर करेगा ? उसको अभी भी बिचोलिये की जरुरत होगी या फिर खुद चल कर आये और जब तक दुकान किराये पर ले तब तक उसकी पूरी फसल बीक नहीं जाती लेकिन यह संभव नहीं है क्योकि किसान नयी जगह पर बिना किसी शोध एवं बिचोलिये के अपनी फसल बेचने की रिस्क कैसे ले सकता है ? टमाटर, आलू , प्याज़ , सब्जी वाला किसान कैसे रेडी लगाकर या दूसरे राज्य में जाकर फसल बेचने का रिस्क लेगा जबकि यह सब्जिया टाइम बॉण्डेड होती है अर्थात समय पर नहीं बिकी तो ख़राब हो जाएगी,इसीलिए बिचोलियो को इस कानून के तहत साफ करना कहना बेईमानी होगी क्योकि बिचोलिये किसान से पूरी फसल एक मुश्त खरीद कर उसको पेमेंट दे देते है फिर बिचोलिये उस खरीदी गयी फसल पर मुनाफा कमा कर अपनी हिसाब से बेचते रहते है। और वैसे भी पहले से ही बहुत सी फसल जैसे गेहू,चावल आदि किसान सीधे ही कंपनी या लोगो तक सीधे पंहुचा देते है, जब यह कानून नहीं था तब भी। तो एक तरह से यह कानून झुनझुना है ।
3. फार्मर(एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज आर्डिनेंस,2020)- यह लाया गया कानून जरूर थोड़ा किसानो के लिए दमदार है इस कानून के तहत फसल लगने से पहले ही कंपनी द्वारा उसकी कीमत तय कर दी जाएगी जिससे किसान को फायदा होगा । यानि कंपनी वाले आकर किसान से फसल लगाने से पहले ही मोल भाव कर लेंगे और फसल होने के बाद उसको खरीद लेंगे । किसान और कंपनी के अधिकारी के बीच एक समझौता मंडी अधिकारी की मध्यस्थता में किया जायेगा यदि कोई भी इस समझौते से मुकरता है तो मंडी अधिकारी उस पर कारवाही करने के लिए स्वतंत्र होगा ।
फायदा😃😃-
किसानो को बाजार भाव से कोई लेना देना नहीं होगा , यदि बाजार में फसल आने तक दाम कम भी हो जाते है तब भी उसकी फसल तय शुदा दामों में बिकेगी अत: किसान को पक्का मुनाफा ही होगा । बिचोलिये खत्म होंगे किसान और कंपनी सीधे डील करेंगे । कंपनी वाले किसान को नयी तकनीक सिखाने में मदद भी करेंगे उसी के साथ उनको दिशा निर्देश देने में भी सहायक होंगे । हम अधिकतर देखते है ताबतोड़ उत्पादन होने से फसल के दाम गिर जाते है लेकिन अब किसान फसल लगाने से पहले ही उसकी कीमत तय कर लेगा।
नुकसान😭-
समझौते के तहत किसान फसल को उसी कीमत पर बेचना होगा जो तय हुई थी. समझौता फसल लगाते समय हुआ था अब यदि बाजार में फसल की कीमत फसल आने के बाद बढ़ी हुई होती है तो भी किसान को कंपनी को ही तय शुदा कीमत पर फसल देनी होगी।इसमें किसान को मुनाफा तो होगा लेकिन बाजार कीमत से कम होगा। दूसरा बड़ा नुकसान, चूँकि मध्यस्थता मंडी के अधिकारी करेंगे तो किसान और कंपनी में वाद विवाद होने पर उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़े होंगे। सरकारी अधिकारी को भ्र्ष्टाचार करने का मौका मिलेगा ।
तो यह थे तीनो बिल, उसके फायदे और नुकसान, अब आप बताइये इसमें इतना बखेड़ा करने की जरुरत क्या है? किसानो में एक चीज के लिए सबसे ज्यादा जो भ्रान्ति फैलाई गयी है वो यह है की सरकार मंडी में न्यूयनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद को बंद करने जा रही है , किसान के पास अपनी फसल निजी हाथो में बेचने के अलावा कोई और चारा नहीं बचेगा और इस तरह किसान से सरकार उसका हक़ छीन रही है। यह सब भ्रांतिया फैला कर किसानो को बरगलाया जा रहा है ।जब की प्रधानमंत्री मोदी जी ने खुद कहा कहा की सरकार ऐसा कुछ नहीं करने जा रही है । हालाँकि बाद में करेगी इस पर अभी कह नहीं सकते क्योकि राजनैतिक पार्टिया कहती और है और करती कुछ अलग ही है। अब कुछ महान बुद्धिजीवी कह रहे है सरकार के खुद के साथी इस बिल के विरोध में छोड़ कर भाग रहे है , अरे तो भैया पंजाब के साथी भागे है अकाली दल वो भी जनता के दबाव में आकर क्योकि पंजाब में कांग्रेस सरकार एवं विपक्ष आप, दोनों इस मुद्दे को जमकर भुना रही है तो अकाली दल को मज़बूरी में दिल पर पत्थर रखकर जाना पड़ा । अब यहाँ इस अध्यादेशों को लाये गये समय पर भी बवाल है क्योकि जून 2020 जब कोरोना में पूरा देश बंद था कोरोना से झूझ रहा था तब इस बिल को लाने की क्या जल्दी थी तो उसके जवाब में मेरा मानना है मोदी सरकार को उड़ता तीर लेने की आदत हो गयी है ।
Comments
Post a Comment