राजस्थान तकनिकी विश्वविद्यालय, 9 महीने बाद भी पासआउट विद्यार्थियों की बची मर्सी परीक्षा पर निर्णय नहीं..
covid-19 ने वर्ष 2019 में जो कहर बरपाया है वो किसी से छुपा नहीं, लेकिन अब धीरे-धीरे उसकी भरपाई होने लगी है एवं हालात सामान्य हो रहे है. किन्तु राजस्थान तकनिकी विश्वविद्यालय के कुछ विद्यार्थियों की बात करे तो उनके माथे पर अभी भी शिकन एवं चिंता की लकीरे साफ देखि जा सकती है. यह वो विद्यार्थी है जो विश्वविद्यालय से वर्ष 2012 से पहले ही पास आउट हो चुके है लेकिन किसी न किसी विषय में बैक पेपर होने के के कारण अभी तक अपनी ग्रेजुएशन पूरी नहीं कर सके, हालाँकि विश्वविद्यालय के नियमो के अनुसार इनको आठ वर्ष में ही अपनी डिग्री पुरी करनी थी लेकिन विद्यार्थि इस तय समय में सभी विषयो में परीक्षा उत्तरीन नहीं कर पाए और इन्ही विद्यार्थियों की याचिका एवं भविष्य को देखते हुए विश्वविद्यालय ने इनको एक और मौका अपने बचे हुए विषयो में पास होने के लिए उपलब्ध कराया जिसे "मर्सी" एग्जाम कहा गया है.
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने इसी वर्ष फरवरी-मार्च में मर्सी एग्जाम पासआउट विद्यार्थियों के लिए आयोजित किया था। मर्सी एग्जाम में कुछ परीक्षा सम्प्पन भी हो चुकी थी, लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉक डाउन के कारण आयोजित परीक्षा बीच में ही स्थगित करनी पड़ी, और अभी तक भी बची हुई परीक्षा न तो आयोजित करवाई, न ही इसके बारे में विश्वविद्यालय ने कोई समयसूचि जारी की। इसी कारण पीड़ित विद्यार्थियों में अभी तक जिज्ञासा भविष्य के लिए चिंता है कि, कब उनके बचे हुए एग्जाम लिए जाएंगे ताकि वह डिग्री करके नौकरी और आगे की पढ़ाई कर सकें।
वर्ष 2012 से पहले के ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 10,000 से ज्यादा है यह ऐसे विद्यार्थी है जो इस मर्सी एग्जाम के लिए पंजीकृत हुए थे। आज यह सभी विद्यार्थी अपने भविष्य की ओर देख रहे हैं जो एग्जाम ना होने की वजह से लटकता दिख रहा है।
एक विद्यार्थी ने हमसे बात करते हुए कहा की "हमारा भविष्य दांव पर लगा हुआ है. मेरे सिर्फ एक ही बैक पेपर है लेकिन उसकी वजह से अभी तक न तो कोई प्रतियोगिता परीक्षा दे पा रहा हूँ , न ही आगे की पढ़ाई कर पा रहा हूँ, विश्वविद्यालय से जाने कितनी बार सम्पर्क किया की हमारी बची हुई परीक्षा कब आयोजित होगी लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारी कोई भी जवाब नहीं दे रहे है। हमारे बचे हुए एग्जाम नहीं होने की वजह से यह पूरा साल बर्बाद हो गया
वही मेरा मानना है की " विश्वविद्यालय को प्राथमिकता से मर्सी बैक वालो के बचे हुए अधूरे एग्जाम करवाना चाहिए, विश्वविद्यालय पांचवे एवं सातवें सेमेस्टर की परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन निकाल रही है लेकिन मर्सी बैक वालो के जो एग्जाम बाकि रह गए उसके बारे में कोई सुचना जारी नहीं कर रही, यह चिंता का विषय है. यह हजारो विद्यार्थी पहले से ही अपने भविष्य में काफी लेट हो चुके है और यह एक-एक दिन का विलम्ब इनके जीवन को और पीछे धकेल रहा है।
वहीं विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक धीरेन्द्र माथुर का कहना है "अभी बची हुई मर्सी परीक्षा के बारे में विचार चल रहा है, पांचवे एवं सातवें सेमेस्टर (मेन-बैक) की परीक्षा के लिए भी राज्य सरकार से पूछा है उनके उत्तर के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी, मर्सी परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों में अधिकतर कोटा से बाहर है इसी वजह निर्णय लेने में कठिनाई आ रही है की कैसे उनके एग्जाम करवाए जाये, राज्य सरकार से जैसे ही दिशा निर्देश मिलेंगे जल्द ही मर्सी एग्जाम के ऊपर भी निर्णय हो जायेग। अब देखना है विश्वविद्यालय कितने त्वरित तरीके से मर्सी परीक्षा के लिए निर्णय करके हजारो विद्यार्थियों को अपना भविष्य सवांरने का मौका देता है ।
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