Skip to main content

सोशल मीडिया पर होते सियासी घमासान से, बिगड़ते आपसी रिश्ते,इन्हे संभाले


आजकल अधिकतर व्यक्ति सोशल मीडिया पर एक्टिव है. व्यक्ति अपने विचारो को सोशल मीडिया पर व्यक्त करता है, दर्शाता है की वो किसी विषय पर क्या राय रखता है, उसका विषय पर क्या सोचना है, क्या पक्ष है. किसी भी विषय पर विचार अपने अकाउंट पर व्यक्त करना उसका स्वत्रंत अधिकार है, उसके द्वारा  व्यक्त किये गए विचार उसके फॉलोवर एवं सोशल मीडिया अकाउंट पर बने दोस्तों,मिलने वाले, जानने वाले तक पहुंचते है और यही से फिर रिश्तो में कड़वाहट होनी शुरू हो जाती है।

कौन सही, कौन गलत इसका मूल्याँकन सोशल मीडिया पर करना लगभग असम्भव है फिर भी अपने आप को सही एवं दूसरे को गलत साबित करने की होड़ मची हुई है और इसी होड़ में बलि चढाई जाती है अपने आपसी सम्बंधो की. सोशल मीडिया के इस युग में अब आमजन में एक दूसरे के विचारो की क़द्र, इज्जत करना,भले ही आप उसके विचारो से संतुष्ट नहीं हो, लघभग न के बराबर हो गया है. पार्टी के एजेंट, दलाल, भक्त,चमचा,देश विरोधी, देश भक्त, गोबर भक्त,अंधभक्त, पाकिस्तानी,आतंकवादी आदि जैसे शब्दों से किसी को नवाजना अब आम बात हो गयी है. यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी गंभीर मुद्दे पर कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली जाती है तो उस पोस्ट पर कमेंट की बौछार होने लग जाती है, यदि सहमत हो तो तारीफ की और नहीं है तो ऊपर दी गयी उपाधियों की. सब अपने-अपने तर्कसंगत तर्कों से स्वयं को उस विषय पर दक्ष दर्शाने की कोशिश करने लग जाते है और पोस्ट डालने वाले व्यक्ति को खुद का ज्ञान देने लग जाते है. एक व्यक्ति उस पोस्ट पर कमेंट करके पोस्ट डालने व्यक्ति को खुद की अदालत में दोषी करार देते हुए उसको किसी पार्टी का दलाल बता देता है तो दूसरा व्यक्ति उसी कमेंट पर अपनी बुध्दि का परिचय देते हुए दलाल कहने वाले व्यक्ति को देश विरोधी कहने लग जाता है.उस पोस्ट डालने वाले व्यक्ति को अपने पोस्ट के सम्बन्ध में कई तर्क देने पड़ते है और उसी के जानने वाले उन तर्कों से संतुष्ट नहीं होते और अपने दिल-दिमाग में उस व्यक्ति की कुछ छवि बना लेते है और उसी छवि के साथ रिश्ते को निभाने लग जाते है. 



अक्सर देखा जाता है यह कमेंट बाजी के चक्कर में लोग  गाली-गलोच तक पर उतर जाते है और कई जगह तो नौबत हाथा-पाई तक आ जाती है. आपसी सौहार्द की सोशल मीडिया द्वारा हत्या कर दी जाती है, कई बार माहौल तनावपूर्ण हो जाता है. इस तरह से लोग आपसी मतभेदों के कारण अपने ही रिश्ते ख़राब करने में कोई कसर नहीं छोड़ते जबकि कई बार तो सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने व्यक्ति और कमेंट करने वाले व्यक्ति दोनों का डाली गयी पोस्ट से लेना देना भी नहीं होता लेकिन बस विचारधारा की इस लड़ाई की चक्की में वह अपने ही रिश्ते पीस देते है. अभी हाल ही के दिनों की बात करे तो, किसानो का आंदोलन या शाहीन बाग का आंदोलन हो ,एवं इन दोनों आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के वायरल वीडियो, सन्देश  आदि तेजी से सभी लोगो के पास आसानी से पहुंच गए थे बस फर्क इतना था किसी व्यक्ति को वायरल सन्देश में पुलिस पर हुई हिंसा दिखी, तो किसी को किसानो पर हुए अत्याचार. हर सिक्के के दो पहलु होते है, इंसान किस पहलु को ज्यादा सही समझे किस को नहीं, यह उस के विवेक पर  निर्भर करता है. हर इंसान की एक विचारधारा होती और उसी विचारधारा के तहत वो अपनी सोशल मीडिया पर उन विचारो को अभियक्त करता है. उसकी विचारधारा से सहमत न होने वाले व्यक्ति अपनी असहमति उसकी पोस्ट पर भाषा का सयंम रखते हुए और साथ ही उसके विचारो का भी सम्मान करते हुए कमेंट करके दर्शा सकते है. पोस्ट पर कमेंट करते समय अपने विवेक का इस्तमाल करते हुए इस तरह की भाषा को प्रयोग करे की सामने वाले को बुरा न लगे. हो सकता है पोस्ट करने वाले व्यक्ति का पोस्ट गलत जानकारी दे रहा हो, तब कमेंट करते समय सिर्फ एक तर्क संगत कमेंट से अपनी बात रखे, यदि पोस्ट करने वाला व्यक्ति सहमत होगा तो ठीक नहीं तो लगातार उस पर कमेंट युद्ध छेड़कर उसको नीचे न दिखाए. इसी के साथ जिस विषय पर पोस्ट डाली गयी है उसी विषय पर कमेंट करे, अन्य मुद्दों को लेकर उसको न घेरे, न ही पोस्ट डालने वाले से आपकी विचारधारा के अनुसार पोस्ट डालने की जिद्द करे. हर व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए की दूसरा व्यक्ति अपने विवेक, पसंद से सोशल मीडिया का उपयोग करेगा न की आपकी इच्छा से.तुझे यह दिख गया यह नहीं, तूने इस पर पोस्ट किया इस विषय पर नहीं, यह न्यूज़ चैनल उसका एजेंट है, यह उसका आदि जैसे कमेंट करके आप दूसरे व्यक्ति पर आरोप नहीं लगा सकते.

हम सबको यह ध्यान देने की जरुरत है जब एक घर में ही परिवार के लोगो की विचारधार अलग अलग हो सकती है तो सोशल मीडिया पर जुड़े आपके मिलने वालो की  क्यों नहीं हो सकती? हम क्यों अपनी विचारधारा अन्य पर थोंपे ? यदि आप उक्त व्यक्ति के पोस्ट से सहमत नहीं होते और उसके द्वारा डाले जाने वाले सभी पोस्ट आपको परेशान करते है तो आप उस व्यक्ति को ब्लॉक कर दे, अन-फ्रेंड कर दे यदि अन-फ्रेंड करना आपके लिए सहज नहीं तो अनफोलो कर दे, लेकिन बेवजह की विचारधारा की लड़ाई से सम्बन्ध न बिगाड़े. रिश्ते जरुरी है, सोशल मीडिया के इस युग में इस क्रांति का उपयोग करते-करते विचारधारा की लड़ाई से इन्हे ख़त्म न करे, न ही इसमें कड़वाहट लाये. सबके विचारो का सम्मान करे भले आप उससे सहमत हो या न हो.  आपकी विचारधारा भले ही मेल न खाये लेकिन आपसी ताल-मेल न बिगाड़े.

Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कान...

नवरात्रे हुए सम्पन्न, देखते है मातारानी के पांडाल में गरबे के आयोजन में नाचने वाले कितने काफिर पर जारी होता है फतवा...

उत्तर प्रदेश में हर-हर शम्भू भजन की कॉपी गाने वाली तीन तलाक पीड़िता गायक कलाकार फ़रमानी नाज हो या फिर अलीगढ़ की रूबी खान जिसने खुद के घर में गणेशोत्सव पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की और तो और रांची की योग सिखाने वाली टीचर राफिया नाज तक को इस्लाम धर्म के तथाकथित नियमो के विपरीत जाने के आरोप पर फतवे का सामना करना पड़ा।आगे बात करे तो भारतीय क्रिकेट के स्टार मोहम्मद शमी तक के ख़िलाफ़ दशहरे की शुभकामनाएं देने के जुर्म में इस्लाम के मौलाना-मौलवियों ने फतवे जारी करने की धमकी दे डाली थी । लेकिन पुरे नो दिन के नवरात्रि निकल गए, समस्त गरबे भी सफलतापूर्वक संपन्न हो गए, मेरी निगाहे टक-टकी लगाकर देश के किसी भी कोने से, मातारानी के पांडाल में उनके चारो तरफ परिक्रमा करते हुए धूम-धाम से जयकारा लगाते, संगीत पर नाचने-गाने वाले मुस्लिम काफिरो के ख़िलाफ़ फतवे का इंतजार कर रही है। इस्लाम में मूर्ति पूजा, नाचना-गाना, दूसरे धर्म के धर्म स्थलों पर जाकर माथा टेकना, यहाँ तक भारत माता की जय, वन्दे मातरम नारे लगाना तक हराम है, फिर इन मुस्लिम युवाओं के ख़िलाफ़, जो अपनी पहचान ऊँचे पजामे, जालीदार गोल टोपी, बिना मू...

आंदोलनजीवियों के हथकंडो से कब तक होते रहेंगे राजमार्ग बंधक,क्या आमजन के फंडामेंटल राइट्स की परवाह नहीं किसी को?

 दिल्ली के पास स्थित शम्भू बॉर्डर पर डेरा डाल कर तथाकथित पंजाब से आये किसानों का प्रर्दशन चल रहा है और वो देश की राजधानी दिल्ली में घुसने की मांग कर रहे है, जबकि केंद्र सरकार पिछले आंदोलन जिसमे (लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहराने और पुलिस को बुरी तरह पीटने) बड़ी अराजकता होने से सरकार की बुरी स्थिति हो गयी थी, से सबक लेकर इनको बॉर्डर पर ही रोकने पर आमादा है।। तथाकथित पंजाब से आये किसानों के इरादों और बातो से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली पर कूंच कर दी हो और वह दिल्ली के राजा को डरा धमका कर गद्दी से हटाना चाहते हो। जिस तरह की तस्वीरें शम्भू बॉर्डर से आ रही है उन्हें देखकर किसी भी तरीके से मासूम अन्नदाता किसानो का आंदोलन यह कहा ही नहीं जा सकता।                   आम आदमी पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब से 10 हजार के लगभग इन तथाकथित अन्दोलनजीवियो का आगमन हुआ है,लगता है शायद इनको एजेंडा के तहत भेजा गया हो भारत सरकार के खिलाफ किसानो के नाम से हुड़दंग मचाकर परेशां करने का। चूँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल अब बजने ही वाला है...