Skip to main content

केंद्रीय विद्यालय न खोलकर, मोटी फीस वाले निजी स्कूल के लिए सरकार, कोर्ट तक से बगावत ! पर, क्यों आई आई टी मंडी ?

 

हम अक्सर देखते है की, सरकार के आदेशों की पालना करना सभी सरकारी तंत्रो का काम होता है, उनका कर्तव्य होता है, लेकिन आई आई टी मंडी का प्रशासन तो सरकार के आदेश को धत्ता बताते हुए कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है, यहाँ तक की दिल्ली उच्च न्यायायल के द्वारा निजी स्कूल को बंद कर केंद्रीय विद्यालय खोलने के दिए गए आदेश का भी पुरजोर विरोध करते हुए ,खुद की जेब से पैसे खर्च करते हुए उच्च न्यायलय दिल्ली में पुनःविलोकन की याचिका तक दायर कर दी, इसके अलावा मेरी शिकायत पर मंत्रालय न जब केंद्र सरकार के केंद्रीय विद्यालय खोलने के आदेश पर आई आई टी प्रशासन से जवाब माँगा तो रजिस्ट्रार न झूठ तक बोल दिया. अब सवाल उठता है, ऐसा किया क्यों? इतनी शिद्दत से निजी स्कूल को बचाने के लिए क्यों आमादा हो रहा है आई आई टी प्रशासन?ऐसा क्या जुड़ाव/फायदा है इस निजी स्कूल से जिसकी वजह से आप हर संभव प्रयास कर रहे हो इसको बचाने का एवं केंद्रीय विद्यालय नहीं आने का?   क्या स्वार्थ है इनका इसके पीछे ? कही कोई दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है? इनकी नियत में खोट क्यों है ? क्या कोई मोटा धन मिला है इस निजी स्कूल से क्योकि अब तो चारो तरफ यही चर्चा है की निजी स्कूल को चलाने के लिए आई आई टी मंडी के अधिकारियो को मोटा धन मिला है, इसीलिए सब दबे हुए है (हालाँकि में इस चर्चा की पुष्टि नहीं करता),अब कैसे निजी स्कूल को जाने दे.   इसके पीछे क्या कहानी है यह बड़ा ही रौचक विषय है.  




वर्ष 2018 से हम लोग आई आई टी मंडी के कैंपस में चल रहे मोटी फीस वसूलने वाले निजी स्कूल को बंद कर केंद्र सरकार के आदेशानुसार केंद्रीय विद्यालय (K.V) खोलने के लिए जंग लड़ रहे है. सबसे पहले हमने निजी स्कूल को इतना बड़ा कैंपस फ्री में देकर फायदा पहुंचाने के लिए, आई आई टी प्रशासन पर सवाल उठाया तो आई आई टी प्रशासन ने मज़बूरी में,दु:खी मन से ,रोते बिलखते निजी स्कूल से रेंट वसूलना शुरू किया.

लेकिन हमारी लड़ाई रेंट वसूलने की नहीं निजी स्कूल को बंद कर K.V. खोलने की रही है, हमने दिल्ली उच्च न्यायायल में याचिका लगाकर केंद्र सरकार के आदेश की अनुपालना सुनिश्चित कराने की मांग की जिस पर दिल्लीउच्च न्यायायल ने हमारे पक्ष में फैसला भी पारित कर दिया, उसके बाद दिसम्बर 2019 में शिक्षा मंत्रालय ने पुनः आई आई टी मंडी को पत्र लिखकर केंद्रीय विद्यालय खोलने का आदेश दिया लेकिन आई आई टी मंडी के ढीठ अधिकारियो के कान पर जूं तक नहीं रेकी, हमने फिर मंत्रालय को शिकायत कर आदेश की अनुपालना करने के लिए कहा जिसके जवाब में आई आई टी ने झूठ बोलते हुए कहा की हमारे पास इतने विद्यार्थी नहीं है और साथ ही  K.V. के लिए जरुरी बिल्डिंग भी नहीं है. जब इसके बाद हमने पुनः मंत्रालय को शिकायत कर इनके ढीठ रवैये की शिकायत की तो मंत्रालय ने  स्पष्ट शब्दों में कहा की केंद्र सरकार के आदेश की अनुपालना के बारे में जवाब दो,


 इस बार आई आई टी के रजिस्ट्रार ने फिर से सफाई से झूठ बोल दिया की यह मामला दिल्ली उच्च न्यायलय में विचारधीन है अभी इसमें और कुछ नहीं कहा जा सकता. 


भारत का बच्चा-बच्चा जानता है की जब तक कोर्ट के आदेश पर "स्टे ऑर्डर" नहीं मिल जाता तब तक "मूल आदेश" ही लागु माना जाता है, लेकिन आई आई टी मंडी के नासमझ रजिस्ट्रार साहब को यह इतनी सी बात नहीं समझ आती और लप्पक के झूठ पेल देते है. वो जिस संस्थान आई आई टी बॉम्बे से आये है वहाँ खुद केंद्रीय विद्यालय खुला हुआ है फिर भी उनकी अंतरात्मा उनको नहीं झकझोरती. इसके अलावा निर्देहशक महोदय का चार्ज जिनके पास है वो खुद भी इस मामले में आंख मूंद कर बैठे है. वो तो वैसे भी टाइम पास कर रहे है साथ ही खुद भ्र्ष्टाचार के आरोपों के नीचे दबे हुए है उनके ऊपर भी उनके संस्थान आई आई टी रूरकी के ही पूर्व कर्मी ने गबन के लिए F.I.R करवाई हुई है. मुझे ज्यादा दुःख है उन दो हिमाचली कर्मियों की जो आई आई टी मंडी में बड़े पद पर है, सेवा निवृत होने के बाद भी लाखो रुपये उठा रहे है लेकिन हिमाचल के लोगो के बारे में जरा नहीं सोचते. भोले की इस पावन भूमि पर इस तरह के लोग अभिशाप है. जैसे गोरो के सामने कुछ भारतीय अपने स्वार्थ के लिए बिक गए थे उसी दर्जे के है ये लोग.हिमाचल के गरीबो की बदुआ लगेगी आप दोनों को.         

दूसरा, रजिस्ट्रार साहब को बताना चाहता हु अभी तक तो आपके केस में नोटिस भी इशू नहीं हुआ, न ही कोर्ट में केस एडमिट हुआ है(जहां तक मेरी जानकारी में है) फिर कहाँ से आपका केस विचाराधीन हो गया है ? आप इतना झूठ बोल कैसे लेते हो ? शर्म नहीं आती ? भाई भतीजाद का फायदा उठाकर रजिस्ट्रार साहब ने अपनी बीवी को नौकरी पर तो पहले ही रखवा लिया था लेकिन अब सुना है ऊंचे पद बिठाकर लाख रुपये महीने की तनख्वा भी उठा रही है मैडम ? (वैसे यह मेने जो सुना है वो गलत हो ऐसी में कामना करता हूँ).   

अधिकतर जगह देखा जाता है सरकारी कर्मचारी सरकार से टकराव नहीं लेते, सरकार से मिले आदेशों को मान लेते है लेकिन आई आई टी मंडी तो सरकार क्या कोर्ट के आदेश के खिलाफ तक खड़ी हो रही है. आखिर चक्कर क्या है की इस स्कूल के पीछे पूरी ताकत के साथ खड़े हो? ईमानदारी की तनख्वाह से पेट नहीं भरता क्या, पेट है की कुंआ ?

क्या मिल रहा है गरीबो का हक़ खा कर क्योकि केंद्रीय विद्यालय आएगा तो आस पास के गांव वाले अपने बच्चो को  ,कैंपस में काम कर रहे आउट सोर्स कर्मी, सफाईकर्मी, गरीब परिवार आदि अपने बच्चो को उसी में दाखिला दिलवाएंगे, सस्ती फीस में. इससे क्या तकलीफ है आपको? आपको तकलीफ है की गांव वालो का बच्चा या आपसे नीचे काम करने वाले सफाईकर्मी का बच्चा आपके बच्चे के साथ एक ही क्लास में बैठेगा, गरीब अमीर का फर्क हैट जायेगा , जब गरीब का बच्चा आपके बच्चे के साथ खेलेगा तो आपके सम्मान को ठेस पहुंचेगी. आपका स्टैण्डर्ड डाउन हो जायेगा   

आप लोगो को डर है की आप लोगो की पत्नियां बेरोजगार हो जाएगी, इस स्कूल के नाम पर मिलने वाला फण्ड जो मिल बाँट कर खाया जाता है उस पर लगाम लग जाएगी, स्कूल में जो आप लोगो की दादागिरी चलती है वो बंद हो जाएगी और निजी स्कूल से रिश्वत के तोर पर लिया हुआ मोटा पैसा लौटाना पड़ेगा( लोगो के आरोप है, उनको लिख रहा हु मेरा कोई मत नहीं). 


हम इस विषय पर केंद्र सरकार , राज्य की सरकार को भी बीच में लाना चाहते है क्योकि दोनों जगह जब एक ही पार्टी की सरकार है तो क्या दिक्कत आ रही है आप लोगो को खुद का एवं  कोर्ट आदेश की अनुपालना करवाने में. क्या  आप लोगो को हिमाचल के लोगो से मतलब नहीं ? क्या वो सिर्फ वोटबैंक है? कितनी बार आप लोगो न इस बारे में आपस में बात की और आई आई टी प्रशासन को हिदायत दी? जितनी मेहनत हम कर रहे, हम लड़ रहे है उसका 20% भी आप लोग ध्यान दे लेते तो आज आई आई टी मंडी में यह दुर्गति नहीं होती . 


महाशय में भी आपको यकीं दिलाता हु, छोड़ेंगे नहीं हम, हम लड़ेंगे हिमाचल के बच्चो के लिए,  लड़ेंगे आपकी ढीठ रवैये से, लड़ेंगे आपकी दादागिरी के खिलाफ, लड़ेंगे आपकी दुर्भावना के खिलाफ, हम लड़ेंगे गरीब के बच्चो के लिए, हम लड़ेंगे आपके भेदभाव के खिलाफ, हम लड़ेंगे भारत के कर-दाता नागरिको के लिए जिनका धन आप लोग निजी स्कूल के नाम से उड़ा रहे हो.हम लड़ेंगे और लड़ते रहेंगे , सभी सम्भव प्रयास करेंगे और देखना हिमाचल के लोगो का साथ भी हमको जरूर मिलेगा. आपको देव भूमि पर उनके सामने झुकना होगा.           

     

Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कान...

नवरात्रे हुए सम्पन्न, देखते है मातारानी के पांडाल में गरबे के आयोजन में नाचने वाले कितने काफिर पर जारी होता है फतवा...

उत्तर प्रदेश में हर-हर शम्भू भजन की कॉपी गाने वाली तीन तलाक पीड़िता गायक कलाकार फ़रमानी नाज हो या फिर अलीगढ़ की रूबी खान जिसने खुद के घर में गणेशोत्सव पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की और तो और रांची की योग सिखाने वाली टीचर राफिया नाज तक को इस्लाम धर्म के तथाकथित नियमो के विपरीत जाने के आरोप पर फतवे का सामना करना पड़ा।आगे बात करे तो भारतीय क्रिकेट के स्टार मोहम्मद शमी तक के ख़िलाफ़ दशहरे की शुभकामनाएं देने के जुर्म में इस्लाम के मौलाना-मौलवियों ने फतवे जारी करने की धमकी दे डाली थी । लेकिन पुरे नो दिन के नवरात्रि निकल गए, समस्त गरबे भी सफलतापूर्वक संपन्न हो गए, मेरी निगाहे टक-टकी लगाकर देश के किसी भी कोने से, मातारानी के पांडाल में उनके चारो तरफ परिक्रमा करते हुए धूम-धाम से जयकारा लगाते, संगीत पर नाचने-गाने वाले मुस्लिम काफिरो के ख़िलाफ़ फतवे का इंतजार कर रही है। इस्लाम में मूर्ति पूजा, नाचना-गाना, दूसरे धर्म के धर्म स्थलों पर जाकर माथा टेकना, यहाँ तक भारत माता की जय, वन्दे मातरम नारे लगाना तक हराम है, फिर इन मुस्लिम युवाओं के ख़िलाफ़, जो अपनी पहचान ऊँचे पजामे, जालीदार गोल टोपी, बिना मू...

आंदोलनजीवियों के हथकंडो से कब तक होते रहेंगे राजमार्ग बंधक,क्या आमजन के फंडामेंटल राइट्स की परवाह नहीं किसी को?

 दिल्ली के पास स्थित शम्भू बॉर्डर पर डेरा डाल कर तथाकथित पंजाब से आये किसानों का प्रर्दशन चल रहा है और वो देश की राजधानी दिल्ली में घुसने की मांग कर रहे है, जबकि केंद्र सरकार पिछले आंदोलन जिसमे (लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहराने और पुलिस को बुरी तरह पीटने) बड़ी अराजकता होने से सरकार की बुरी स्थिति हो गयी थी, से सबक लेकर इनको बॉर्डर पर ही रोकने पर आमादा है।। तथाकथित पंजाब से आये किसानों के इरादों और बातो से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली पर कूंच कर दी हो और वह दिल्ली के राजा को डरा धमका कर गद्दी से हटाना चाहते हो। जिस तरह की तस्वीरें शम्भू बॉर्डर से आ रही है उन्हें देखकर किसी भी तरीके से मासूम अन्नदाता किसानो का आंदोलन यह कहा ही नहीं जा सकता।                   आम आदमी पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब से 10 हजार के लगभग इन तथाकथित अन्दोलनजीवियो का आगमन हुआ है,लगता है शायद इनको एजेंडा के तहत भेजा गया हो भारत सरकार के खिलाफ किसानो के नाम से हुड़दंग मचाकर परेशां करने का। चूँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल अब बजने ही वाला है...