Skip to main content

आरटीयू: 10 वर्षो से अटकी पड़ी है अशैक्षणिक पदों पर भर्ती, फॉर्म फीस के नाम पर वसूली 1 करोड़ से ज्यादा की रकम

2011-12 में निकली कनिष्ठ लिपिक, स्टेनोग्राफर की भर्ती अभी तक नहीं हुई पूर्ण   

राजस्थान की पहली तकनिकी यूनिवर्सिटी में स्टाफ की भारी कमी तो है ही साथ ही यूनिवर्सिटी ने बेरोजगारी में नौकरी की उम्मीद लगाए अभ्यर्थियों से भद्दा मजाक भी कर लिया. यूनिवर्सिटी ने नौकरी की आस में फॉर्म भरने वाले अभ्यर्थियों से फॉर्म फीस के नाम पर 1 करोड़ से ज्यादा की रकम तो वसूल कर ली लेकिन 2011 में निकली भर्ती अभी तक भी पूर्ण नहीं की. यह जानकारी सुचना के अधिकार के तहत मिले डाटा से निकल कर सामने आयी है.

मेने आरटीयू में सुचना के अधिकार के तहत यूनिवर्सिटी में वर्ष 2010 से अब तक निकाली गयी विभिन्न पदों के लिए भर्ती एवं उक्त भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों की संख्या, एप्लीकेशन फॉर्म फीस से एकत्र की गयी धन राशि और जो भर्ती अभी तक अटकी हुई है का कारण सम्बन्धी जानकारी मांगी थी. जिसका उत्तर अनुभाग अधिकारी अजय सिंह पवांर ने उपलब्ध करवाया. प्राप्त उत्तर से स्पष्ट हुआ की वर्ष 2011 में निकली कनिष्ठ सहायक ( लिपिक) की भर्ती 2021 तक भी पूर्ण नहीं हो सकी.

अटकी है अशैक्षणिक स्टाफ की भर्ती-

वर्ष 2011 में कनिष्ठ सहायक( लिपिक ) के 29 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमे 2687 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया जो सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं की जा सकी. वर्ष 2012 में परीक्षा नियंत्रक,पुस्तकालयध्यक्ष, सुरक्षा अधिकारी & कनिष्ठ अभियंता के 1-1,स्टेनोग्राफर & उप कुलसचिव के 3-3,सहायककुलसचिव के 8 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमे 546 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और उसमे से पुस्तकालयध्यक्ष,कनिष्ठ अभियंता,सहायककुलसचिव की भर्ती पूर्ण हुई लेकिन उपकुलसचिव के 2 पद रिक्त रह गए जबकि परीक्षा नियंत्रक, स्टेनोग्राफर & सुरक्षा अधिकारी के पदों पर सक्षम स्वीकृति के अभाव में भर्ती पूर्ण नहीं की जा सकी.

वर्ष 2013 में दुबारा कनिष्ठ सहायक के 29 एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 33 पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया जिसमे क्रमश: 2128 एवं 4656 आवेदन प्राप्त हुए लेकिन यह भर्ती प्रकिया भी सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं हो पायी. 

वर्ष 2014 में फिर से खाली पड़े विभिन्न 66 पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी जिसमे उपकुलसचिव के 2,सम्पदा अधिकारी का 1, सहायक कुलसचिव का 1,स्टेनोग्राफर के 3, कनिष्ठ अभियंता का 1, तकनिकी सहायक के 5, कंप्यूटर प्रोग्रामर का 1,कनिष्ठ तकनिकी सहायक का 1,तकनीशियन के 9,वाहन चालक का 1,प्रोयगशाला अनुचर के 11 एवं कनिष्ठ लिपिक के 29 पदों के लिए आवेदन मांगे गए. इन 66 पदों के लिए कुल 4523 आवदेन प्राप्त हुए. इस भर्ती प्रक्रिया में भी मात्र उपकुलसचिव तथा सम्पदा अधिकारी के मिलाकर 3 ही पदों पर भर्ती पूर्ण हो सकी और सहायक कुलसचिव के 1 पद के लिए प्राप्त 94 आवेदनों में से एक भी योग्य नहीं मिल पाने के कारण भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी एवं बाकि 62 पदों की भर्ती सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं की जा सकी.  

अंतिम भर्ती विज्ञप्ति वर्ष 2018 में यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गयी जिसमे कनिष्ठ लिपिक के 45 पदों के लिए आवेदन मांगे गए.इस विज्ञापन में 20021 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन यह भर्ती प्रक्रिया भी सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं हो सकी.

इस प्रकार यूनिवर्सिटी में रिक्त पड़े विभिन्न अशैक्षणिक पदों के लिए वर्ष 2011 से 2018 तक पांच बार विज्ञापन जारी किया गया लेकिन हर बार अभ्यर्थियों से आवेदन लेने के बाद उस भर्ती प्रक्रिया को सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं किया गया. 

शैक्षणिक में भी नहीं भरे पूर्ण पद-

वर्ष 2011-12 में प्रोफेसर के 29,एसोसिएट प्रोफेसर के 37 तथा असिस्टेंट प्रोफेसर के 25 पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे थे जिसमे क्रमश 17,15 एवं 184 आवेदन प्राप्त हुए और इन खाली पड़े पदों पर 12 प्रोफेसर, 9 एसोसिएट प्रोफेसर एवं 16 असिस्टेंट प्रोफेसर को भर्ती किया गया. वर्ष 2013-14 में इन खाली पड़े पदों को भरने के लिए पुनः प्रयास किया गया और प्रोफेसर के 8,एसोसिएट प्रोफेसर के 18 तथा असिस्टेंट प्रोफेसर के 15 पदों के लिए आवेदन मांगे जिसमे क्रमश: 9,77 एवं 367 आवेदन प्राप्त हुए और 2 प्रोफेसर, 4 एसोसिएट प्रोफेसर एवं 13 असिस्टेंट प्रोफेसर का चयन हुआ बाकि शेष रिक्त रही पोस्ट अब तक खाली चल रही है.

आरटीयू ने वसूल की 1 करोड़ से ज्यादा की रकम आवेदन शुल्क के नाम से-

इन पांच भर्ती विज्ञापनों के माध्यम से यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2018 तक अभ्यर्थियों से 1 करोड़ 6 लाख 20 हजार रुपये आवेदन शुल्क के नाम से एकत्र कर लिए जिसमे कनिष्ठ सहायक एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले युवाओ के आवेदन से प्राप्त धनराशि सबसे अधिक है. इन दोनों पदों पर आवदेन करने वाले अभ्यर्थियों ने कुल 95 लाख 62 हजार रुपये आवेदन शुल्क के रूप में जमा करवाया. 

यूनिवर्सिटी ने तोडा बेरोजगारों का सपना-

यूनिवर्सिटी ने इन 10 वर्षो में पांच बार विभिन्न पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया लेकिन उसको सक्षम स्वीकृति के अभाव में पूर्ण नहीं कर, आरटीयू में नौकरी का सपना देखने वाले बेरोजगारों का सपना तो तोडा ही है साथ ही उनके साथ भद्दा मजाक भी किया है.कई बेरोजगारों को बार-बार नौकरी का सपना दिखाकर विज्ञप्ति जारी कर आवेदन शुल्क के नाम पर धन लिया गया और उनको भर्ती प्रक्रिया के बारे में कोई सुचना भी नहीं दी गयी. कई आवेदनकर्ता तो अब अधिक उम्र की वजह से योग्य भी नहीं होंगे तो किसी ने उम्मीद ही छोड़ दी होगी. यूनिवर्सिटी ने बिना किसी सक्षम स्वीकृति के विज्ञप्ति जारी कैसे की यह सोचने का विषय है. ऐसा प्रतीत होता है सरकार के बदलते रहने के कारण यह भर्ती प्रक्रिया अभी तक पूर्ण नहीं हो सकी.परीक्षा नियंत्रक, सुरक्षा अधिकारी एवं प्रोफेसर आदि जैसे महत्वपूर्ण पदों समेत कनिष्ठ लिपिक, चतुर्थ श्रेणी पद लम्बे समय से खाली पड़े है इस पर सरकार को तुरंत निर्णय लेना चाहिए एवं बेरोजगारों के पक्ष में फैसला देना चाहिए.जो अभ्यर्थी अब उक्त आवेदन को समाप्त करना चाहते है उनको ब्याज समेत आवेदन शुल्क लौटना चाहिए.

Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कान...

नवरात्रे हुए सम्पन्न, देखते है मातारानी के पांडाल में गरबे के आयोजन में नाचने वाले कितने काफिर पर जारी होता है फतवा...

उत्तर प्रदेश में हर-हर शम्भू भजन की कॉपी गाने वाली तीन तलाक पीड़िता गायक कलाकार फ़रमानी नाज हो या फिर अलीगढ़ की रूबी खान जिसने खुद के घर में गणेशोत्सव पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की और तो और रांची की योग सिखाने वाली टीचर राफिया नाज तक को इस्लाम धर्म के तथाकथित नियमो के विपरीत जाने के आरोप पर फतवे का सामना करना पड़ा।आगे बात करे तो भारतीय क्रिकेट के स्टार मोहम्मद शमी तक के ख़िलाफ़ दशहरे की शुभकामनाएं देने के जुर्म में इस्लाम के मौलाना-मौलवियों ने फतवे जारी करने की धमकी दे डाली थी । लेकिन पुरे नो दिन के नवरात्रि निकल गए, समस्त गरबे भी सफलतापूर्वक संपन्न हो गए, मेरी निगाहे टक-टकी लगाकर देश के किसी भी कोने से, मातारानी के पांडाल में उनके चारो तरफ परिक्रमा करते हुए धूम-धाम से जयकारा लगाते, संगीत पर नाचने-गाने वाले मुस्लिम काफिरो के ख़िलाफ़ फतवे का इंतजार कर रही है। इस्लाम में मूर्ति पूजा, नाचना-गाना, दूसरे धर्म के धर्म स्थलों पर जाकर माथा टेकना, यहाँ तक भारत माता की जय, वन्दे मातरम नारे लगाना तक हराम है, फिर इन मुस्लिम युवाओं के ख़िलाफ़, जो अपनी पहचान ऊँचे पजामे, जालीदार गोल टोपी, बिना मू...

आंदोलनजीवियों के हथकंडो से कब तक होते रहेंगे राजमार्ग बंधक,क्या आमजन के फंडामेंटल राइट्स की परवाह नहीं किसी को?

 दिल्ली के पास स्थित शम्भू बॉर्डर पर डेरा डाल कर तथाकथित पंजाब से आये किसानों का प्रर्दशन चल रहा है और वो देश की राजधानी दिल्ली में घुसने की मांग कर रहे है, जबकि केंद्र सरकार पिछले आंदोलन जिसमे (लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहराने और पुलिस को बुरी तरह पीटने) बड़ी अराजकता होने से सरकार की बुरी स्थिति हो गयी थी, से सबक लेकर इनको बॉर्डर पर ही रोकने पर आमादा है।। तथाकथित पंजाब से आये किसानों के इरादों और बातो से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली पर कूंच कर दी हो और वह दिल्ली के राजा को डरा धमका कर गद्दी से हटाना चाहते हो। जिस तरह की तस्वीरें शम्भू बॉर्डर से आ रही है उन्हें देखकर किसी भी तरीके से मासूम अन्नदाता किसानो का आंदोलन यह कहा ही नहीं जा सकता।                   आम आदमी पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब से 10 हजार के लगभग इन तथाकथित अन्दोलनजीवियो का आगमन हुआ है,लगता है शायद इनको एजेंडा के तहत भेजा गया हो भारत सरकार के खिलाफ किसानो के नाम से हुड़दंग मचाकर परेशां करने का। चूँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल अब बजने ही वाला है...