अब रामु के ताऊजी ने उससे जाने की इजाजत मांगी और साथ ही बाकि दोनों बच्चो का पता माँगा तो रामु दुखी हो गया और बोला की छोटा भाई बबलू यहाँ से 50 किलोमीटर दूर एक गांव में रहता है लेकिन मुन्नी का पता नहीं. ताऊजी उससे विदा होते हुए दूसरे भतीजे बबलू के पास जा पहुंचे.....(1)
(2) ताऊजी बबलू को खोजते हुए उसके गाँव पहुंचे वहां चौपाल पर बैठे बुजुर्ग से उसने बबलू के घर का पता पूछा तो बुजुर्ग ने कहा "आप काहे उस बिचारे बबलू का पता पूछ रहे है? पहले उसका गांव में घर था लेकिन अब सब बिक गया और वो खेत में ही एक झोपडी बनाकर बीवी बच्चों के साथ रहता है."
ताऊजी ने कहा "मैं उसका ताऊजी हूँ, एवं वर्षो बाद उससे मिलने आया हूँ. आप बता दीजिये मैं खेत पर ही चला जाऊंगा"
इस तरह बुजुर्ग से रास्ता पूछ कर ताऊजी खेत पर पहुँच जाते है. खेत में मौजूद कुटिया को खाली देख वो वही पास में भोजन कर रहे व्यक्ति से बबलू के बारे में पूछते है तो वो एक व्यक्ति की ओर इशारा करके ताऊजी को बबलू का पता बता देता है. ताऊजी खेत में जाते है तथा वहां देखते है कि हल में आगे की एक तरफ बैल और दूजी तरफ एक नौजवान बंधा हुआ होता है और महिला हल के पीछे हिस्से की तरफ खड़ी है तथा तीनो मिलकर खेत जोत रहे है. ताऊजी समझ जाते है की यह बबलू और उसकी पत्नी है. ताऊजी यह दृश्य देख कर बड़े ही व्याकुल हो जाते है और बबलू के पास जाकर अपना परिचय देते है. बबलू और उसकी पत्नी हल को छोड़कर ताऊजी के साथ कुटिया में आ जाते है. ताऊजी उस दृश्य को नहीं भूल पाते और बबलू से उसके बारे में पूछते है.
बबलू बड़े ही दुखी मन से बताता है " ताऊजी क्या करू, मेरे पास पहले 3 बैल थे लेकिन हमेशा कुछ समय बाद किसी भी कारण से सब मर जाते है और सिर्फ एक बैल रह जाता है. मैं अच्छी से अच्छी नस्ल का बैल लाता हूँ लेकिन वो भी कुछ दिनों में ही बीमार पड़ जाता है और मर जाता है. उनके बीमारी और बार-बार नए बैल खरीदने की वजह से मेरे ऊपर बहुत कर्जा हो गया और मुझे सबकुछ बेचना पड़ा. अब एक तरफ बैल बांधता हूँ और दूजी तरफ मैं खुद बंध जाता हूँ ताकि खेत अच्छे से जुत सके.
ताऊजी उसकी बात बड़े ध्यान से सुनते है और कुछ समय बाद उसका हाथ पकड़ कर आंखे बंद कर उसकी किस्मत के बारे में अपनी विद्या से पढ़ते है. वो अपनी शक्ति से देख पाते है कि बबलू के जीवन में सिर्फ एक ही बैल रहेगा उससे ज्यादा नहीं. वो कितने ही बैल ले आये, सब मर जायेंगे उसमे से एक ही बचेगा अथार्त एक बैल जरूर उसके पास सदैव रहा करेगा.
ताऊजी सब समझ जाते है और आंखे खोल लेते है और कुछ विचार करने के बाद वो बबलू से बोलते है " बबलू कल सुबह पशु मंडी खुलते ही तू यह एक बैल जो तेरे पास है उसे बेच आना."
यह सुनकर बबलू के होश उड़ गए, कि एक ही बैल है वो भी बेच दिया तो खेत कैसे जोतूँगा?वो ताऊजी से कहता है- "ताऊजी मेरे पास एक ही बैल है यदि इसको भी बेच दूंगा तो खेत कैसे जोतूँगा और खाऊँगा क्या ?"
ताऊजी उसको सख्त शब्दों में आदेश देते हुए कहते है" यदि तुझे मेरी बात कि अवज्ञा करनी है तो ठीक है मैं यहाँ से अभी चला जाता हूँ. " और ताऊजी उठकर जाने लगते है लेकिन बबलू उनको बात मानने का वचन देकर रोक लेता है. दूसरे दिन सुबह उठते ही बबलू अपने एक लौते बैल को बेचने निकल जाता है और उसे बेचकर घर आ जाता है. दिन भर वो दुखी रहता है और खेत पर भी नहीं जाता. अब उसके पास एक भी बैल नहीं था,शाम होने लगती है. बबलू दुखी मन से घर में रहता है कि अचानक ब्रम्हा जी का सिंहासन डोलने लगता है और उनको उनके द्वारा लिखी गयी ब्रम्ह वाणी मिथ्या होती दिखती है.वो तुरंत प्रभाव से बबलू के घर के बाहर एक हष्ट पुष्ट बैल भेज देते है जो उसके घर के बाहर जाकर बैठ जाता है. बबलू घर से बाहर आकर देखता है और बैल को रोटी देकर अंदर चला जाता है और दिनचर्या में व्यस्त होकर सो जाता है. सुबह जब वो उठता है तो बैल को उसी जगह पाकर वो उत्सुकतावश बोलता है -" अरे यह बैल किस का है ? यह रात भर से यही बैठा है इसको लेकर जाओ" वो आसपास के लोगो से पूछता है लेकिन उसे कुछ पता नहीं चलता इतने में ताऊजी बाहर आ जाते है और वो उनको पूरा घटनाक्रम बताता है. ताऊजी मन मंद मुस्कुराते हुए कहते है कि "तू इस बैल को बांध ले और कल इसे भी पशु मंडी में बेच आना"
बबलू अचरज में पढ़ जाता है लेकिन वो ताऊजी कि बात मान लेता है. इस तरह रोजाना वो सुबह बैल बेच आता और ब्रम्हा जी का सिंहासन डोलता फिर शाम तक उसके पास बैल आ जाता. अब बबलू खुश था और उसका सारा कर्जा भी उतर गया था. तब ताऊजी ने उससे कहा " बेटा बबलू ! तेरी किस्मत में एक बैल ही लिखा है, लेकिन एक बैल हमेशा तेरे पास रहेगा. इसलिए तू बस एक बैल में ही खुश रहना" अब बबलू को ताऊजी कि बात समझ आ चुकी थी और वो उनको कोटि कोटि नमस्कार करता है.
ताऊजी अब उससे मुन्नी के बारे में पूछते है. बबलू ताऊजी को दुखी मन से बताता है " ताऊजी मुन्नी के बारे में बस इतना जनता हूँ कि वो इस गांव के विपरीत 80 किलोमीटर दूर नानक गांव में रहती है."
ताऊजी उससे मुन्नी के पास जाने कि कह कर विदा लेते है, बबलू दु:खीमन से ताऊजी को विदा करता है.
ताऊजी कुछ समय बाद नानक गांव में पहुँच जाते है.नानक गांव में वो एक बुजुर्ग व्यक्ति से - "भाईसाहब, यह मुन्नी कहाँ रहती है ?"
बुजुर्ग व्यक्ति ताऊजी को घ्रणित नजरो से देखते हुए कहता है- "मुझे नहीं पता"
ताऊजी बुजुर्ग के व्यवहार से अचम्भित हो जाते है लेकिन वो कुछ दूर एक किराने की दुकान पर जाकर दुकानदार से मुन्नी का पता पूछते है. दुकानदार एकदम से झेप जाता है और ताऊजी को इग्नोर करके कोई जवाब नहीं देता है. ताऊजी अजीब से भाव चेहरे पर लाकर वहाँ से नीचे उतर जाते है. उसके बाद थोड़ा आगे चलकर एक चाय की थड़ी पर चाय लेते है. चाय की एक घूंट लेने के बाद कुल्हड़ को हाथ में रखकर वो चाय वाले से बतियाते हुए कहते है- भैया, यहाँ एक मुन्नी नाम की लड़की रहती है शायद, सब उसके बारे में पता पूछते ही झेंप क्यों जाते है?
चाय वाला मजाकिया अंदाज में ताऊजी से कहता है- इस गांव में नए आये हो शायद आप बाउजी इसीलिए मुन्नी के बारे में पूछ रहे हो.वैसे दिन के उजाले में ही आपको मुन्नी के पास क्यों जाना है? ऐसी क्या जरुरत आन पड़ी ?
ताऊजी कुल्हड़ से चाय का दूसरा घूंट लेने के बाद श्वास को लम्बी खींचते हुए कहते है- भैया वो मेरी भतीजी है, रात और दिन क्या करेगा उससे मिलने में ?
चाय वाला- ओह ...बाउजी फिर मैं ज्यादा आपको नहीं बताऊँगा..आप बस सामने 1500 मीटर आगे जाकर दाएं मुड़ जाना, वहाँ पीपल का पेड़ है उसी के पास मुन्नी का घर है.
बाउजी चाय ख़त्म कर उत्सुकतावश मुन्नी के पास जाते है.
घर के बहार जाकर एक महिला से मुन्नी के बारे में पूछते है वो महिला मुन्नी को बुलाकर लाती है. मुन्नी आकर बाउजी को नहीं पहचानती और चिड़चिड़े स्वाभाव से कहती है - क्या हुआ बुढऊ? दिन में ही आ गया. मेरी रेट 100 रुपये एक बार की है और उसके अलावा हर चीज का एक्स्ट्रा लगेगा.
ताऊजी का यह सुनकर दिमाग ठनक जाता है. मुन्नी अब नानक गांव की मशहूर वेश्या बन चुकी थी. बाउजी दुखी मन से उससे कहते है- मुन्नी, मैं ग्राहक नहीं बेटा, तेरा ताऊजी हूँ. मैं तुझे ढूंढते हुए बस तुझसे मिलने ही यहाँ आया हूँ.
मुन्नी यह सुनकर अचम्भित हो जाती है वर्षो पहले उसके ताऊजी उसके परिवार को छोड़कर जा चुके थे.उसकी पहचान मुन्नी बाई वेश्या के नाम से थी. उसे सिर्फ वासना की नजर से देखा जाता था. उसको आज तक कोई बेटा बोलने वाला कोई नहीं मिला था. बेटा शब्द सुनकर उसकी आंख में आंसू आ गए और वो फुट फुट कर रोने लगी और ताऊजी को अंदर ले गयी. वहां ताऊजी ने उससे पूछा- बेटा, तू वेश्या कैसे बन गयी ?
मुन्नी ने आंसू पोछते हुए बताया- ताऊजी जब हम तीनो गांव से भागे तो मैं बिछड़ गयी, मैं रात को अकेली पेड़ के नीचे सो रही थी तो डाकू मुझे वहां से उठा कर ले गए और मुझे यहाँ लाकर बेच दिया.बस अब यहीं जीवन है,कुछ काम आता नहीं, रोजाना के 100-200 रुपये कमा लेती हूँ और जीवन चल जाता है.
ताऊजी- कोई बात नहीं बेटा, लेकिन 100-200 रुपये ही क्यों ? ज्यादा क्यों नहीं ? पहले अच्छा धन कमा ले फिर अन्य गांव में जाकर अच्छे से जीवन यापन करना.
मुन्नी- ताऊजी सिर्फ एक या दो ही ग्राहक आते है. कहाँ से कमाऊ ज्यादा ?उससे सिर्फ पेट भर पाता है.
ताऊजी कुछ सोचने के बाद उसके हाथ पकड़ कर आंख बंद कर देखते है कि मुन्नी के पास हमेशा जीवनभर यही काम रहेगा और ज्यादा ग्राहक नहीं आएंगे. हाँ लेकिन एक ग्राहक कम से कम उसके पास रोजाना आएगा. यह जरुरी था. ताऊजी ने आंखे खोली और मुन्नी से कहा- "बेटा कल तू आस पास के गांव में सब जगह ढिंढोरा पीटवा दे कि आज से मुन्नी की कीमत 1 लाख रुपये रात है, जिसमे हिम्मत है यह रकम अदा करने की वो ही आना फालतू लोग नहीं."
मुन्नी ताऊजी की बात सुनकर हंस पड़ी, वो बोली- ताऊजी यहाँ 100 रुपये के ग्राहक नहीं मिलते आप 1 लाख रुपये रकम करवा कर मेरी हजिहत करवा रहे हो?
ताऊजी ने विश्वास के साथ कहा- तू यह घोषणा कल करवा दे. अगर तेरे पास कल 1 लाख रुपये का ग्राहक नहीं आया तो मैं जीवन भर तेरा गुलाम रहूँगा. बस एक ही दिन की बात है.
दोस्तों इन तीनो कि कहानियो से यह शिक्षा मिलती है कि हम किसी भी कार्य को करे, उसको पूरी शिद्द्त एवं ईमानदारी के साथ करे, उस कार्य में इतने डूब जाये कि उसके सिवाए कुछ और सूझे नहीं..भगवान आपकी किस्मत में कुछ न कुछ अच्छा जरूर लिखता है, बस आपको उसे ही पहचानना है. यदि आपकी किस्मत 1% चलती है और आपमें टैलेंट भी 1% है फिर भी आप एक सफल व्यक्ति बन सकते है यदि आप "98% Not Giving Attitude" के धनि है.सफलता का एक ही मंत्र होता है Not Giving Attitude यदि अपने इसी को अपना लिया तो फिर अपनी किस्मत आप खुद लिखोगे.
आपको यह तीनो कहानी कैसी लगी ...कमेंट करके जरूर बताये..
आपका सुजीत स्वामी..
बेहतरीन सुजीत जी
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