मुझे गर्व है कि मैं राजस्थान के उस कोटा शहर से हूँ जो पुरे भारत में ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में भी शिक्षा नगरी के नाम से जाना जाता है। 15 लाख की आबादी वाला कोटा शहर आज देश के साथ-साथ दुनिया के मानचित्र पर अपना अलग ही प्रभाव रखता है, विशेष पहचान रखता है और कोटा शहर को यह पहचान दिलाई है एलन करियर इंस्टीट्यूट ने। मैं सुजीत स्वामी कोटा इंजीनियर जिसको देश के हर कोने से रेलवे से 2 रुपये के लिए चली पांच साल की जंग जीतने पर भरपूर प्यार और सम्मान मिला, खुद इस बात को सहर्ष बोलता हूँ कि एलन करियर इंस्टिट्यूट में शिक्षा के साथ-साथ मानवता को सबसे बड़ी प्राथमिकता पर रखा जाता है। जो भी एलन करियर इंस्टिट्यूट से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है उसकी अंतरात्मा जानती है यह सिर्फ एक कोचिंग संस्थान नहीं है बल्कि हजारो लाखों लोगो का एक विशाल परिवार है जिसने हर मुसीबत में प्रत्येक परिवार के हर एक सदस्य का ध्यान रखा है। हाँ यह मान सकते है कि कुछ पूर्ण तरीके से प्रोफेशनल लोग असंतुष्ट होंगे क्योंकि एलन अन्य संस्थानो की तरह सिर्फ प्रोफेशनल होने तक ही सीमित नहीं, इसके लिए साम-दाम-दंड-भेद करके प्रॉफिट कमाना ही एक मात्र लक्ष्य नहीं अपितु इसमें इंसानियत और मानवता को पहले पायदान पर रखा जाता है। यह एक संस्थान की तरह नहीं बल्कि परिवार की तरह कार्य करती है, जिसमें हर सदस्य का अपना ही एक रोल होता है।
वर्ष 1988 में राजेश माहेश्वरी द्वारा मात्र 8 विद्यार्थियों से शुरू हुआ एलन परिवार अब तक लाखों बच्चो की जिंदगी बना चूका है। एलन की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता शुरू से इतनी जबरदस्त थी कि संस्थान के शुरू होने के केवल 4 वर्ष के भीतर ही राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट (RPMT)के कठिन एग्जाम में संस्थान ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। 12 विद्यार्थियों का चयन इस संस्थान से 1991 में हुआ जिसके बाद एलन ने पलट कर पीछे नहीं देखा। संस्थान से बृजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी, गोविन्द माहेश्वरी के साथ-साथ कई और शिक्षा जगत के दिग्गज जुड़ते गए जिसकी बदौलत 1995 अथार्थ मात्र 7 साल में RPMT एग्जाम में प्रथम रैंक निकाल कर एलन ने अपनी लम्बी पारी का शंखनाद कर दिया। उसके बाद वर्ष 2014 में संस्थान से JEE एडवांस एवं AIPMT का ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक निकल कर सामने आयी जिसने कोटा के इस संस्थान को ऐसी उड़ान दी जिसके पंखो को फैलाने के लिए पूरा आसमान एक मैदान की तरह था । वर्ष 2016 में एलन परिवार की सच्ची निष्ठा ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो न माना जा सकता है, न ही उस पर विश्वास किया जा सकता है। एलन के JEE एडवांस एवं नीट-UG क्लासरूम विद्यार्थियों ने इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट, सेकंड और थर्ड रैंक, तीनो टॉप रैंक एलन की झोली में डाल दी जिसके बाद पुरे देश में कोटा के चर्चे होने लगे और कोटा शिक्षानगरी के रूप में स्थापित हो गया। आज भारत का ऐसा कोई IIT, AIIMS,NIT आदि नहीं जहाँ एलन का विद्यार्थी न हो।
आज कोटा क्या राजस्थान का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ से कोई व्यक्ति एलन परिवार से नहीं जुड़ना चाहता हो ऐसा इसलिए नहीं की एलन में तनख्वा अच्छी दी जाती है बल्कि इसलिए क्योंकि एलन में उसके कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता, उनको परिवार के सदस्य की तरह रखा जाता है, कितनी भी विपरीत परिस्थिति आ जाये एलन कभी कर्मचारी को बीच मझधार में नहीं छोड़ता। कई कर्मियों ने एलन में होते हुए भी ऐसे व्यक्तिगत कार्य भी किये जो यदि वो अन्य संस्थान में इस तरह करते चाहे वो सरकारी हो या निजी उनको तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता लेकिन एलन ने उन कर्मियों के साथ भी पूर्ण सहानुभूति एवं इंसानियत को बरक़रार रखा क्योंकि एलन कभी किसी का बुरा नहीं करता, वो ईश्वर पर उसके कर्मो का हिसाब छोड़ देता है।
अभी जब पुरे विश्व में कोरोना महामारी ने ताण्डव मचा रखा था, जब बड़ी-बड़ी संस्थाओ ने अपने ही कर्मियों को जॉब से निकाल कर इस महामारी से अकेले लड़ने के लिए छोड़ दिया वहीं एलन ने एक भी कर्मी को न तो निकाला, न ही किसी की तनख्वा रोकी बल्कि महामारी में हर कर्मी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। दूसरी लहर के दौरान जब ऑक्सीजन की कमी से कोटा जूझ रहा था तो एलन ने अपने कर्मियों के साथ उनके परिवारजन तक के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था सुनिश्चित की,ताकि कोई भी एलन परिवार का व्यक्ति कमजोर न पड़े, अकेला महामारी से न लडे चाहे हो सफाई कर्मी हो या बड़े-बड़े से बड़ा पदाधिकारी। एलन के विद्यार्थियों के लिए भी कोरोना लॉक डाउन के दौरान हॉस्टल से घर तक उनको सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी एलन ने अपने कंधो पर ली। आज भी एलन का स्टूडेंट वेलफेयर सोसाइटी विद्यार्थियों के लिए 24 घंटे उनकी हर संभव मदद के लिए तत्पर रहता है, चाहे वो समस्या शिक्षा सम्बन्धी हो या व्यक्तिगत।
जब कोरोना टिके की किल्लत थी तब भी एलन ने भरसक प्रयास कर प्रशासन के सहयोग से अपने कर्मियों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को ध्यान रखते हुए टिके की हर संभव व्यवस्था की। अभी अप्रेल-मई में एलन के निर्देशक के परिवार में जब शादी थी तो यहीं एलन के निर्देशक जिनके सामने जमाना झुकता है, हाथ जोड़ कर कर्मियों को शादी में आकर बच्चो को आशीर्वाद देने के लिए निमंत्रण दे रहे थे और जब कर्मी शादी में उक्त स्थान पर पहुंचे तो जो दृश्य वहां के स्वागत द्वार का था वो वाकई अविस्मरणीय, अकल्पनीय था। कोटा की रीड की हड्डी एवं विश्व में कोटा को पहचान दिलाने वाली एलन परिवार के निर्देशक शाम को उन्ही कर्मियों के लिए पलक पावड़े बिछाकर स्वागत द्वार पर खड़े थे। हाथ जोड़कर हर कर्मी का स्वागत कर रहे थे चाहे वो छोटे से छोटा कर्मी हो या बड़े से बड़ा पदाधिकारी। यह संस्कार, मानवता,इंसानियत नहीं तो और क्या है?
एलन में किस तरह की फ्लेक्सिब्लिटी कर्मियों के लिए है क्या वो अन्य किसी भी संस्थान में मिल सकती है? एक बार वो अपनी अंतरात्मा से पूछ ले बस। आज जब एलन के एक डायरेक्टर का वीडियो वायरल करके तरह-तरह की बाते की जा रही है तो दुःख होता है की उनकी भावनाओं को नहीं समझा जा रहा। आज कोटा का हर निवासी दुखी है जिस तरह से झूठा प्रोपोगेंडा चलाया जा रहा है। एलन परिवार की सादगी को देखते हुए यहाँ पर कई लोगो ने काम सीखा फिर दूसरी जगह चले गए लेकिन जब कुछ समय बाद वह वापस एलन की तरफ उम्मीद से देखने लगे तो एलन ने पुनः पुरे सम्मान के साथ उनको गले लगाया, उनको उतना ही सम्मान दिया जिसके वो पहले हक़दार थे। लेकिन आज जिस तरह से कोरोना महामारी के बाद ऑफलाइन कोचिंग में बच्चे कोटा में आने लगे है,उन बच्चो की उम्मीदों को पंख लगने लगे है, वो उड़ान भरने को तैयार है तो कुछ लोग चंद पैसो के खातिर उन बच्चो को धोखा देकर जा रहे है। उनके इस कृत्य से कोटा की छवि धूमिल होगी। उन लोगो से हर वो व्यक्ति दुखी होगा जो कोटा से जुड़ा हुआ है। यह लोग आज जा रहे है लेकिन दो साल बाद फिर जब पुनः एलन की ओर यह उम्मीद से देखेंगे तो कोटा वासी नहीं चाहेंगे की विद्यार्थियों को धोखा देकर जाने वाले लोगो को वापस वो ही सम्मान एवं सत्कार दिया जाए। यह तो तय है कि अभी पैसों के लालच में जाने वाले अधिकतर लोग दो साल बाद अपनी आज की गलती पर पछतायेंगे। वहां उनकी खुद की नहीं बल्कि उनके नाम के साथ जुड़े "एलन शब्द"की कीमत है। एलन ज़मीन से उठा कर फिर से अनेक तैयार कर लेगा। एलन की ब्रांड वैल्यू तो ऐसी है कि यदि किसी मिलने वाले को मजाक में भी एलन में नौकरी लगने का सपना दिखा दो तो वो पीछा नहीं छोड़ता है ।
राधे-राधे
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