आंदोलनजीवियों के हथकंडो से कब तक होते रहेंगे राजमार्ग बंधक,क्या आमजन के फंडामेंटल राइट्स की परवाह नहीं किसी को?
दिल्ली के पास स्थित शम्भू बॉर्डर पर डेरा डाल कर तथाकथित पंजाब से आये किसानों का प्रर्दशन चल रहा है और वो देश की राजधानी दिल्ली में घुसने की मांग कर रहे है, जबकि केंद्र सरकार पिछले आंदोलन जिसमे (लालकिले पर खालिस्तानी झंडा लहराने और पुलिस को बुरी तरह पीटने) बड़ी अराजकता होने से सरकार की बुरी स्थिति हो गयी थी, से सबक लेकर इनको बॉर्डर पर ही रोकने पर आमादा है।। तथाकथित पंजाब से आये किसानों के इरादों और बातो से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली पर कूंच कर दी हो और वह दिल्ली के राजा को डरा धमका कर गद्दी से हटाना चाहते हो। जिस तरह की तस्वीरें शम्भू बॉर्डर से आ रही है उन्हें देखकर किसी भी तरीके से मासूम अन्नदाता किसानो का आंदोलन यह कहा ही नहीं जा सकता।
आम आदमी पार्टी की सरकार वाले राज्य पंजाब से 10 हजार के लगभग इन तथाकथित अन्दोलनजीवियो का आगमन हुआ है,लगता है शायद इनको एजेंडा के तहत भेजा गया हो भारत सरकार के खिलाफ किसानो के नाम से हुड़दंग मचाकर परेशां करने का। चूँकि लोकसभा चुनाव का बिगुल अब बजने ही वाला है और आचार सहिंता का एलान जल्द हो जायेगा और विपक्षी पार्टियों की मोदी सरकार को रोकने की तमाम कोशिशे ध्वस्त नजर आ रही है क्योंकि अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर ने पुरे समीकरण बिगाड़ कर रख दिए है उसी के साथ इंडि गठबंधन में भी लगातार सेंधमारी जारी है तो"
अब ऐसा क्या किया जाये की माहौल तो बने इसमें सिर्फ एक ही तरीका विपक्ष को सुझा कि किसानो के नाम से धरना प्रदर्शन कर माहौल बनाये।
केंद्र सरकार के द्वारा लाये गए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में भी लम्बे समय से रोड ब्लॉक कर आमजन का यातायात बाधित करने पर सर्वोच्च अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि "कोई भी व्यक्ति विरोध प्रदर्शन के मक़सद से किसी सार्वजनिक स्थान या रास्ते को नहीं रोक सकता.अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्तिचकालीन के लिए इस तरह धरना या प्रर्दशन स्वाकीर्य नहीं है और ऐसे मामलों में सम्बन्धित अधिकारियों को इससे निबटना चाहिए।"
कभी नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर तो कभी NRC की भ्रान्ति पर, कभी जाट आंदोलन के नाम पर तो, कभी हिट & रन मामले के संशोधन से ट्रक ड्राइवर तो कभी काळा कानून के नाम पर किसान ...हमेशा दिल्ली को बंधक बनाकर राष्ट्रीय राज्यमार्ग ब्लॉक कर दिए जाते है और परेशां होता है तो आम आदमी ।
यह तानाशाही और अराजकता के पैटर्न को रोकना पड़ेगा अन्यथा आपके हर कदम पर आन्दोलनजीवियो की भीड़ ऐसे ही आपके मुँह पर थूकती रहेगी और आपको उस थूक को चाटना पड़ेगा।
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